Maharashtra: जलाशयों में पानी भरने से गढ़िचरौली की छह बस्तियों से सड़क संपर्क टूटा

Samachar Jagat | Saturday, 23 Jul 2022 11:48:57 AM
Maharashtra: Road connectivity snapped with six Gadchiroli settlements due to water logging in reservoirs

नागपुर (महाराष्ट्र) | महाराष्ट्र के गढ़िचरौली की छह सुदूर बस्तियों में रहने वाले सैकड़ों आदिवासियों के लिए हर वर्ष मानसून की शुरुआत से पहले वस्तुओं और दवाओं का भंडार करना परंपरा बन गई है क्योंकि बारिश के कारण जलाशयों के भर जाने से ये स्थान जिले के बाकी हिस्सों से चार महीने के लिए कट जाते हैं। महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर स्थित बिनागुंडा, तुरेमार्का, कोवाकोडी, पेरिमिलबट्टी, फोडेवाड़ा और दमनमार्का राज्य के सीमावर्ती गांव हैं।

इन स्थानों से लगभग 36 किलोमीटर दूर भामरागढ़ तालुका में स्थित एक अधिकारी ने 'पीटीआई-भाषा’ से कहा कि पहाड़ियों से घिरी छह बस्तियां राज्य की सीमा पर सबसे दूरस्थ और अंतिम गांव हैं।उन्होंने कहा, ''इन गांवों के लगभग 5०० आदिवासी वन उपज इकट्ठा करके, बांस काटकर और 'कोसरी’ नामक बाजरा की खेती करके अपना जीवन यापन करते हैं।’’

अधिकारी ने कहा कि इन बस्तियों में बिजली की आपूर्ति नहीं है, लेकिन कुछ घरों में छोटी सौर इकाइयां हैं। मानसून का आना बुनियादी ढांचे की कमी वाले इन गांवों के लिए चिता लेकर आता है क्योंकि बारिश के कारण जलाशयों में पानी भर जाने और संपर्क टूटने से ये गांव जुलाई से अक्टूबर तक चार महीने के लिए तालुका और जिला मुख्यालय से कट जाते हैं।

उन्होंने कहा कि गुंडिनूर नामक एक बड़े नाले में बारिश के दौरान बाढ़ आ जाती है, जिससे क्षेत्र से संपर्क प्रभावित होता है। इस नाले पर पुल नहीं है।अधिकारी ने कहा कि इन गांवों के आदिवासियों को या तो लाहेरी गांव तक 18 से 25 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है या फिर डोंगा (लकड़ी की छोटी नाव) के जरिए नाले को पार करना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि मानसून से पहले प्रशासन इन गांवों में और जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि निकटतम स्वास्थ्य केंद्र लाहेरी में लगभग 18 किलोमीटर दूर है।अधिकारी ने कहा कि प्रशासन ने चार 'कोतवाल’ (स्थानीय राजस्व कर्मचारी) भी नियुक्त किए हैं, जो स्थिति से अधिकारियों को अवगत कराने के लिए इन गांवों का दौरा करते रहते हैं।

उन्होंने कहा कि इस साल बारिश शुरू होने से पहले प्रशासन ने इन गांवों की गर्भवती महिलाओं को एहतियात के तौर पर भामरागढ़ के एक आश्रय गृह में स्थानांतरित कर दिया।अधिकारी ने कहा कि अधिकारियों ने गुंडिनूर नाले पर एक पुल के निर्माण को मंजूरी दे दी है और निविदा प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है।

लाहेरी गांव में रहने वाले कोतवालों में से एक ने पीटीआई-भाषा से कहा कि वह उस क्षेत्र का दौरा करने में असमर्थ हैं, क्योंकि हाल में हुई बारिश के दौरान कई छोटी नदियों और नालों में पानी भर गया है। कोतवाल ने कहा कि उन्होंने आखिरी बार 11 जुलाई से पहले गांवों का दौरा किया था। उसके बाद, क्षेत्र में भारी बारिश के कारण नालों में पानी भर गया और बुधवार तक ये स्थान पूरी तरह से कट गए। 



 

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