नई दिल्ली : महिला वामपंथी नेताओं ने मनुस्मृति पर विवादित टिप्पणी करने वाली दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह की आलोचना की है। भारतीय महिला राष्ट्रीय संघ (एनएफआईडब्ल्यू) की महासचिव एनी राजा ने बृहस्पतिवार को एक बयान जारी कर न्यायमूर्ति प्रतिभा सिह की टिप्पणियों पर अपनी कड़ी असहमति दर्ज कराई।
एनी राजा ने कहा कि बुधवार को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और गणित में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर अपने विचार रखते हुए न्यायमूर्ति सिह ने अत्यधिक प्रतिगामी विचार प्रस्तुत किए, जो जातिवाद के साथ-साथ वर्गवाद को भी दर्शाते हैं। दरअसल, न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह ने एक बयान में कहा था कि मनुस्मृति महिलाओं को बहुत सम्मानजनक स्थान देती है। एनएफआईडब्ल्यू ने एक वक्तव्य में कहा, ’’उनके द्बारा मनुस्मृति का उल्लेख करना महिलाओं और उनके विचारों पर पूर्ण अनुशासन और दंड के संस्थागत तरीकों को नजरअंदाज करना है।
इसमें जाति के घृणित वर्णनात्मक मानदंडों का भी उल्लेख किया गया है।’’ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की पोलित ब्यूरो की सदस्य बृंदा करात ने कहा कि एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति सिह अपने व्यक्तिगत विचारों की परवाह किए बिना भारत के संविधान को बनाए रखने के लिए बाध्य हैं। बृंदा करात ने एक वक्तव्य में कहा, ’’उन्होंने जिन ग्रंथों का हवाला दिया है वे सीधे तौर पर संविधान और भारत की महिलाओं तथा विशेष रूप से दलित और आदिवासी महिलाओं को संविधान द्बारा दिए गए अधिकारों का घोर विरोधी बयान है।’’