नई दिल्ली : राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में हृदय प्रतिरोपण के बाद एक मरीज को पृथकवास में रखने के लिए अन्य हृदय रोगियों की सर्जरी 10 दिन के लिए रोके जाने की खबरों का खंडन करते हुए अस्पताल ने मंगलवार को कहा कि 'कार्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सर्जरी' (सीटीवीएस) के किसी आपातकालीन मामले में मरीज के उपचार से इनकार नहीं किया गया।
32 वर्षीय एक महिला का 22 अगस्त को आरएमएल अस्पताल में हृदय प्रतिरोपण हुआ था, जिसके बारे में अस्पताल ने दावा किया था कि यह केंद्र सरकार द्बारा संचालित अस्पताल में पहली सफल हृदय प्रतिरोपण सर्जरी थी। आरएमएल अस्पताल ने ट्वीट किया कि जैसे ही मरीज को गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) से बाहर निकाला गया, बिना किसी देरी के नियमित मामलों का इलाज शुरू कर दिया गया।
अस्पताल की ओर से जारी बयान के अनुसार, ''किसी भी आपातकालीन सीटीवीएस मामले में मरीज के उपचार से इनकार नहीं किया गया और अस्पताल में आपातकालीन मामलों के लिए पर्याप्त ऑपरेशन थियेटर एवं कर्मचारी मौजूद हैं।'' सूत्रों के मुताबिक, मरीज को आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया था। अन्य रोगियों से संक्रमण होने के खतरे के कारण उसे पृथकवास में रखने की आवश्यकता थी। ऐसा बताया गया था कि सुविधाओं की कमी के कारण, अन्य हृदय रोगियों की सर्जरी 10 दिनों के लिए रोकीं गईं।