Punjab में बारिश से धान की कटाई में देरी, पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने की आशंका

Samachar Jagat | Friday, 30 Sep 2022 01:40:04 PM
Paddy harvesting delayed due to rain in Punjab, incidents of stubble burning likely to increase

नयी दिल्ली | विशेषज्ञों का कहना है कि पंजाब के कुछ क्षेत्रों में बारिश की वजह से धान की कटाई में देरी के कारण किसान इसकी भरपाई करने और अपने खेतों को अगली फसल के लिए जल्द से जल्द तैयार करने के वास्ते पराली जला सकते हैं। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, उत्तर भारत में चार अक्टूबर से आठ अक्टूबर के बीच एक बार फिर बारिश की संभावना है, जिससे कुछ इलाकों में फसल की कटाई में और देरी हो सकती है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में कृषि इंजीनियरिग विभाग के प्रमुख डॉ. महेश नारंग ने कहा, ''पिछले सप्ताह बारिश से कई इलाकों खासतौर से अमृतसर और तरन तारन में धान की कटाई में देरी हुई, जहां किसान गेहूं से पहले आलू और मटर की खेती करते हैं। यह कोई आदर्श स्थिति नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ''धान की कटाई में देरी ने अगली फसल के लिए खेतों को तैयार करने की अवधि भी कम कर दी है इसलिए इसकी प्रबल संभावना है कि ये किसान मशीनी तंत्र के जरिए पराली से निपटने के बजाय उसे जला सकते हैं।’’ भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) में प्रधान वैज्ञानिक विनय सहगल ने कहा, ''पराली जलाने के मामले 20 सितंबर के आसपास सामने आने शुरू होते हैं, लेकिन 12-14 अक्टूबर तक आग लगने की घटनाओं की संख्या कम रहती है। पिछले सप्ताह बारिश के कारण पंजाब और हरियाणा में खेतों में पराली कम जलायी गयी और दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण में रहा।’’

'कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रोइकोसिस्टम मॉनिटरिग एंड मॉडलिग फ्रॉम स्पेस’ के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में पिछले छह दिनों में पराली जलाने की एक भी घटना नहीं हुई है। मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन संबंधी एजेंसी स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने कहा कि पश्चिमी-मध्य बंगाल की खाडीè में बने चक्रवाती क्षेत्र के कम दबाव के क्षेत्र में बदलने तथा उत्तरपश्चिम की ओर मध्य प्रदेश तक बढ़ने की संभावना है। उन्होंने कहा कि इससे चार से आठ अक्टूबर के बीच दिल्ली-एनसीआर तथा हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों में बारिश हो सकती है।

सहगल ने कहा, ''अगर अगले सप्ताह बारिश होती है तो खेतों में पराली जलाने की घटनाएं अक्टूबर मध्य तक होंगी।’’ विशेषज्ञों का कहना है कि 2020 में किसानों के प्रदर्शन और पिछले साल विधानसभा चुनाव खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि की प्रमुख वजहें रहीं। डॉ. नारंग ने कहा कि पिछले साल दिवाली और उसके बाद के दिनों में दिल्ली-एनसीआर में रहे वायु गुणवत्ता के संकट की पुनरावृत्ति की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा, ''पिछले साल दिल्ली-एनसीआर में खतरनाक वायु गुणवत्ता के पीछे खेतों में आग, पटाखे जलाना और विपरीत मौसम परिस्थितियों की वजहें शामिल थीं।’’

उन्होंने कहा, ''इस साल दिवाली 24 अक्टूबर को है और पराली जलाने की घटनाएं नवंबर में अधिक होती हैं। यह बहुत अहम बात है इसलिए इस बार दिवाली पर हालात गंभीर होने की संभावना नहीं है।’’ ऊर्ज़ा एवं स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र में विश्लेषक सुनील दहिया ने कहा कि केवल निरंतर जागरूकता अभियानों और लगातार सभी पक्षकारों के साथ भागीदारी से ही पराली जलाने जैसी समस्याएं हल हो पाएंगी। आईएआरआई के अनुसार, पंजाब में पिछले साल 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच पराली जलाने की 71,304 घटनाएं दर्ज की गयी थीं।



 

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