जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस सरकार मंत्रिमंडल में फेरबदल जल्द ही हो सकता है। राज्य मंत्रिमंडल में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष रहे सचिन पायलट खेमे से इस बार कई चेहरों को कैबिनेट में जगह मिलने वाली है। माना जा रहा है कि राज्य में विधानसभा चुनावों में दो साल से भी कम वक्त रहा है ऐसे में कांग्रेस हाईकमान एक बार फिर सचिन पायलट को राज्य की चुनावी बागड़ोर सौंपना चाहता है। क्योंकि 2018 में भी सचिन पायलट के नेतृत्व में ही कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। स्वयं राज्य के सीएम अशोक गहलोत ने भी उनके नेतृत्व को सराहा था हालांकि जीत के बाद सीएम पद वरिष्ठता और अनुभव के आधार पर गहलोत के खाते में चला गया।
एक से डेढ़ साल तक तो सब कुछ ठीक चलता रहा लेकिन इसके बाद सचिन पायटल के भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बाद पार्टी ने उन्हें डिप्टी सीएम का पद दे दिया। हालांकि पायलट और गहलोत के बीच टकराव इसलिये रहा क्योंकि मंत्रिमंडल में सचिन पायलट खेमे से विधायकों को मंत्रीमंडल में जगह नहीं दी गई। इसके बाद राज्य में अन्य राज्यों की तरह ही कई बार सियासी समीकरण बनते बिगड़ते रहे। लेकिन इस सबके बावजूद सचिन पायलट ने पार्टी के साथ ही खडे़ रहकर हाईकमान के फैसले को सिर आंखों पर ले लिया। और शायद यही वजह है कि पार्टी हाईकमान अब फिर से राज्य में कांग्रेस पार्टी को चुनावों में जीत दिलाने के लिए सचिन पायटल को ही नेतृत्व प्रदान करेगा।
राजस्थान में सियासी फेरबदल की अटकलों के बीच आज शुक्रवार को सचिन पायलट ने पार्टी हाईकमान सोनिया गांधी से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में 2 साल से भी कम समय बचा है, हम इसके लिए संगठन को मजबूत करना चाहते हैं। 2023 में फिर से सरकार बनाना जरूरी है। पार्टी अनुभव, विश्वसनीयता, क्षेत्रीय संतुलन, जाति संयोजन को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेगी।
सचिन पायलट ने राष्ट्रीय राजधानी में सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह बहुत अच्छा है कि सोनिया गांधी जी लगातार प्रतिक्रिया मांग रही हैं कि क्या किया जाना चाहिए। हमें इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि राजस्थान में फिर से कैसे कांग्रेस पार्टी को चुनाव जिताया जाए। सही समय पर एआईसीसी के महासचिव अजय माकन राजस्थान के संबंध में उचित निर्णय लेंगे।