जयपुर | भरतपुर जिले के डीग क्षेत्र में कथित तौर पर खनन गतिविधियां बंद करने की मांग को लेकर लंबे समय से चल रहा साधु संतों का आंदोलन राजस्थान सरकार से आश्वासन मिलने के बाद समाप्त हो गया। अधिकारियों के अनुसार सरकार ने आदिबद्री व कनकाचल पर्वत क्षेत्र में चल रही खनन गतिविधियों को बंद करने का आश्वासन दिया है। उल्लेखनीय है कि इस आंदोलन के बीच बुधवार को एक साधु विजयदास ने आत्मदाह का प्रयास किया था। इससे पहले मंगलवार को एक अन्य साधु नारायण दास मांगों के समर्थन में मोबाइल टॉवर पर चढ़ गए थे।
साधु विजय दास का इलाज जयपुर के एसएमएस सरकारी अस्पताल में चल रहा है।एक अधिकारी ने बताया कि जिला प्रशासन के अधिकारियों की संतों के प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत चल रही थी। बुधवार रात हुई बातचीत सकारात्मक रही और दोनों पक्षों में कुछ बातों पर सहमति बनी। सरकार ने जिस इलाके में खनन गतिविधियां चल रही है उसे 15 दिनों के भीतर वन क्षेत्र घोषित करने के लिए अधिसूचना जारी करने का फैसला किया। यहां खनन बंद होगा।
भरतपुर के जिलाधिकारी आलोक रंजन ने बृहस्पतिवार को बताया कि आदि बद्री क्षेत्र में 34 और कनकाचल पर्वत क्षेत्र में 11 खदानें संचालित हैं। 2000 से 2018 तक खदानों का आवंटन किया गया था। उन्होंने कहा कि इन खदानों में लगभग 2500 लोग काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही पसोपा क्षेत्र में डेढ़ साल से चल रहा साधुओं का आंदोलन समाप्त हो गया है। उक्त क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार की जाएगी।