जयपुर। राजस्थान सरकार निर्माण कार्यों के लिए प्रदेशवासियों की बजरी की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में लाई गई मैन्यूफैक्चर्ड सेंड (एम-सेंड) पॉलिसी-2020 गेमचेंजर साबित होगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ये बात आज सीएम निवास पर एम-सेंड नीति-2020 के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस दौरान कहा कि इस बहुप्रतीक्षित नीति के कारण राजस्थान में एम-सेंड के उपयोग तथा इसके उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और नदियों से निकलने वाली बजरी पर हमारी निर्भरता में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि इससे राजस्थान के माइनिंग क्षेत्रों में खानों से निकलने वाले वेस्ट की समस्या का भी समाधान होने के साथ ही बड़ी संख्या में एम-सेंड इकाइयां लगने से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

अशोक गहलोत ने कहा कि कहा कि पर्यावरण संबंधी प्रक्रिया व न्यायिक आदेशों के बाद प्रदेश में निर्माण कार्यों की आवश्यकता के अनुरूप बजरी की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। ऐसे में वर्ष 2019-20 के बजट में हमने बजरी के दीर्घकालीन विकल्प के रूप में मैन्यूफैक्चर्ड सेंड को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एम-सेंड नीति लाने का वादा किया था। आज मुझे बहुत खुशी है कि हम प्रदेश की जनता को इस नीति के जरिए एम-सेंड के रूप में प्राकृतिक बजरी का उचित विकल्प उपलब्ध कराने जा रहे हैं।