जयपुर। राजस्थान में आगामी शिक्षा सत्र से पाठ्यक्रम में बदलाव के साथ साथ छात्रों की यूनिफार्म बदली जाएगी।
इसके अलावा स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं संचालित की जाएंगी, पाठ्यक्रम में वीरों एवं वीरांगानाओं और नकदी रहित अर्थव्यवस्था संबंधी पाठ शामिल होंगे। अगले सत्र से स्कूलों में नामांकन, शिक्षकोंंंं की पदस्थापना स्थिति और स्कूल संबंधी कार्यों पर प्रभावी निगरानी के लिए डिजीटलीकरण का उपयोग किया जाएगा। आगामी आठ मार्च को आने वाले राज्य के बजट में शिक्षा को लेकर ओर भी घोषणाएं संभव हैं।
राजस्थान के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी कत्थई और हल्के भूरे रंग की यूनिफार्म में नजर आयेंगे। सरकारी स्कूलों में इस समय छात्रों की यूनिफार्म नीली कमीज और खाकी पेंट है जबकि छात्राओं की वर्दी नीला कुर्ता और सफेद सलवार है। नौवीं कक्षा की छात्राएं काली साइकिल के बजाए अगले सत्र से केसरिया एवं गुलाबी रंग की साइकिलों पर स्कूल जाती नजर आएंगी।
राजस्थान के शिक्षा राज्य मंत्री प्रोफेसर वासु देव देवनानी के अनुसार प्रदेश को शिक्षा क्षेत्र में देश में शीर्ष पर लाने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है। पाठ्यक्रमों में किये बदलाव को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के बाद इतिहास के बहुत से घटनाक्रमों को सामने नहीं आने दिया गया। अब जरूरत है कि नयी पीढ़ी को देश के इतिहास की गौरवमयी घटनाओं की जानकारी दी जाए।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने पाठ्यक्रम, यूनिफार्म ओैर निशुल्क दी जाने वाली साइकिलों का रंग केसरिया करने पर सख्त ऐतराज करते हुए कहा कि सरकार शिक्षा का भगवाकरण करने पर आमादा है। यह सब कुछ गलत हो रहा है और आने वाली पीढी को इसके दुष्परिणाम भुगतने होंगे। पूर्व मंत्री भंवर लाल मेघवाल ने कहा कि राजस्थान का एनसीईआरटी का शानदार पाठ्यक्रम था। पाठ्यक्रम में बदलाव सरकार का मानसिक दिवालियापन ही है।
प्रदेश में आगामी शिक्षा सत्र से पाठ्यक्रम मेंं दो सौ से अधिक वीरों एवं वीरांगानाओंं और महापुरूषों के पाठ शामिल किये गये हैं। सरकार का कहना है कि इनमें हर पंथ, धर्म और सामाजिक समरसता को स्थान दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेन् मोदी द्वारा आठ नवम्बर को नोटबंदी की घोषणा के मद्देनजर ‘‘नकदी रहित अर्थव्यवस्था’’ के बारे में जानकारी देने के लिए बारहवीं कक्षा की अर्थशास्त्र की पुस्तक में इस संबंध में अध्याय जोड़ा गया है। सरकार अत्याधुनिक तकनीक सुविधा वाले निजी स्कूलों को टक्कर देने के लिए सरकारी स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं संचालित करेगी जिनमें ई तकनीक माध्यमों से अध्ययन करवाया जायेगा। स्मार्ट कक्षाओं की शुरूआत पिछले दिनों अजमेर में हो चुकी है।
अगले शिक्षा सत्र से सौलह साल से अधिक आयु के बच्चे आठवीं कक्षा की परीक्षा नहीं दे सकेंगे। राज्य सरकार सरकारी स्कूलों में दाखिल छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। राज्य के शासन सचिव स्कूल नरेश पाल गंगवार ने शिक्षा अधिकारियों से इस दिशा में विशेष प्रयास करने के निर्देश दिये हैं। सरकार स्कूल की प्रशासनिक स्थिति एवं कार्यों को पारदर्शी बनाने के लिए डिजीटलीकरण का जमकर उपयोग करेगी। -(एजेंसी)