राजस्थान के कोटा में चंबल नदी पर स्थित कोटा बैराज से निकली दाएं और बाएं मुख्य नहरों में 15 अक्टूबर से पानी छोड़ना प्रस्तावित है वहीं इन नहरों में अतिक्रमण एवं कचरा का अम्बार लगा हुआ है। चंबल सिचित क्षेत्र विकास प्राधिकरण (काड़ा) की शुक्रवार को हुई बैठक में कोटा-बूंदी जिलों में नहरी क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण का मसला सांगोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिह कुंदनपुर ने पुरजोर तरीके से उठाते हुये सरकारी ऐजेंसियों की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाये। साथ ही उन्होंने इस बात पर भी खेद व्यक्त किया कि पूरे जिले का ही नहीं बल्कि कोटा संभाग का बड़ा प्रशासनिक अमला कोटा में मौजूद होने के बावजूद नहरी क्षेत्र के आसपास विकसित कॉलोनी में रहने वाले लोगों ने कोटा शहर के विभिन्न हिस्सों में से होकर गुजर रही नहरों को कचरापात्र में तब्दील कर लिया कर दिया है और सीएडी ही नहीं बल्कि सफ़ाई के लिये जिम्मेवार कोटा नगर निगम के अधिकारी इन सब को होता देख रहे हैं लेकिन चुप्पी साधे हुए है।
क्षश्री सिह ने नहरी सिचित क्षेत्र में आवासीय कॉलोनियां विकसित करने पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सरकार ने कई करोड़ो-अरबों रुपए खर्च करके कोटा,बूंदी,बारां जिलों में चम्बल सिचित नहरी तंत्र का जाल बिछाया और उसके बाद असिचित क्षेत्र को सिचित क्षेत्र में बदलकर यहां के कृषकों के घरों में खुशहाली लाने की कोशिश की लेकिन सरकारी महकमों की लापरवाही-अनदेखी के चलते कॉलोनाइजरों ने बड़े पैमाने पर इस बेशकीमती सिचित क्षेत्र में कृषि भूमि खरीद कर वहां बिना अनुमति के या तो अपनी ऊंची-ऊंची अSालिकाएं खड़ी कर दी या फिर आवासीय कॉलोनियों के लिए प्लानिग काट दी एवं उनका नियमन भी हो गया जबकि सरकारी एजेंसियों को यह देखना चाहिए था कि जिस बंजर भूमि को विकसित करने के लिए सरकार के करोड़ों-अरबों रुपए की लागत आई है, वहां कॉलोनाइजरों नें अपने आर्थिक हितों के साधते हुए ना केवल कृषि क्षेत्र को बर्बाद किया है बल्कि कोटा शहर को अनियोजित विकास के अंधेरे रास्ते पर धकेल दिया।
श्री सिह ने इस बात पर भी खेद व्यक्त किया कि काडा की बैठक के लिए जयपुर से भी प्रशासनिक अधिकारियों के आने का प्रावधान है लेकिन पिछले काफी समय से कोई भी अधिकारी इन बैठकों में भाग नहीं ले रहा है जिसके कारण कई महत्वपूर्ण फैसलों पर अमल नहीं हो पाता। उन्होंने बैठक में यह भी मांग की थी ऐसी महत्वपूर्ण बैठकों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के अलावा सीएड़ी मंत्री को भी भाग लेना चाहिए ताकि बैठक में दिए जाने वाले फैसलों पर ढतापूर्ण तरीके से अमल किया जा सके।
बैठक के बाद विधायक श्री सिह कुंदनपुर ने'यूनावार्ता’को बताया कि सरकार ने जो नियम बना रखे हैं कि नहर से 30 से 40 मीटर की दूरी पर कोई निर्माण कार्य नहीं होना चाहिए। उसके बावजूद निर्माण कार्य किया जा रहा है और शहर को ही लोग नहरों को गटर में तब्दील कर रहे हैं, जो उचित नहीं है। उन्हे मलबे के ढेर में तब्दील किया जा रहा है। लोगों को भी इसे समझने की आवश्यकता है क्योंकि यह गलत है और सरकारी एजेंसियों को भी इस बात को समझना चाहिए कि जब कोटा शहर को स्मार्ट सिटी बनाया जाना है तो इस तरह की गतिविधियों को हर स्थिति में रोका जाना उनका प्राथमिक दायित्व होना चाहिए।