सत्यजीत रे शताब्दी जयंती की थीम से परिलक्षित होगा आगामी कोलकाता Durga Puja

Samachar Jagat | Tuesday, 13 Sep 2022 02:16:18 PM
The theme of Satyajit Ray Centenary Jayanti will reflect the upcoming Kolkata Durga Puja Festival

कोलकाता  |  प्राचीन सिधु घाटी सभ्यता के अतीत की कल्पनाशीलता को साकार करते रीमेक से लेकर वेटिकन सिटी की भव्य प्रतिकृति और दिवंगत गायक केके को भावभीनी श्रद्धांजलि की प्रस्तुति तथा विश्वविख्यात फिल्मकार सत्यजीत रे की शताब्दी जयंती की थीम पर आधारित कलाकृतियां आगामी दुर्गापूजा के मौके पर देश की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले कोलकाता में पूजा पंडालों पर आकर्षण के केंद्र रहेंगे। यूनेस्को की ओर से कोलकाता के दुर्गापूजा महोत्सव को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किये जाने की उपलब्धि साथ लिए 'वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना से ओतप्रोत कोलकाता में इस बार न्यूजीलैंड की लुभावनी माओरी कला और कोरोना महामारी से तबाह दुनिया में सामान्य स्थिति की बहाली के लिए प्रार्थना की अभिव्यक्ति यहां के दुर्गा पूजा आयोजकों की प्रमुख अवधारणाओं में हैं।

आगामी एक से पांच अक्टूबर तक होने वाले दुर्गापूजा महोत्सव के दौरान प्रत्येक वर्ष की भांति काफी तादाद में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की भारी भीड़ की उम्मीद है। दुर्गापूजा आयोजन के लिए हाई-प्रोफाइल संस्था माने जाने वाले श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब विश्वप्रसिद्ध वेटिकन सिटी के रोमन कैथोलिक चर्च की झांकी तैयार करने में लगा है। क्लब के अध्यक्ष एवं पश्चिम बंगाल के अग्निशमन और आपातकालीन सेवाओं के मंत्री रहे सुजीत बोस 2017 में अपनी रोम यात्रा के दौरान वेटिकन सिटी की सुंदरता से प्रभावित होकर किसी साल इसकी प्रतिकृति प्रस्तुत करने की हसरत संजोए हुए थे। उनकी यह हसरत इस बार साकार रूप लेने जा रही है।

श्री बोस ने कहा, ''हर कोई इतना भाग्यशाली नहीं होता कि वह इसे अपनी आंखों से देख सके। हमने वेटिकन देखने के लिए श्रमिकों और कलाकारों की एक टीम रोम भेजी थी ताकि वे एक आदर्श प्रतिकृति का निर्माण कर सकें।’’ उन्होंने बताया कि यहां वेटिकन सिटी के रोमन कैथोलिक चर्च के अलावा 22 कैरेट सोने में लिपटी मां दुर्गा की नयनाभिराम प्रतिमा बनायी जा रही है। कोलकाता शहर के दूसरे छोर पर हरिदेवपुर आदर्श समिति प्राचीन सिधु घाटी सभ्यता के अतीत की कल्पनाशीलता को झांकी के रूप में प्रस्तुत करेगी। झांकी में मोहन-जोदड़ो और हड़प्पा के खंडहरों को आकार दिया जा रहा है। यहां के शिल्पकार रंगजीत राय ने कहा , ''हमने खंडहरों से आगे जाने की कोशिश की है। हमने इतिहास और पुरातत्व के साथ कुछ कल्पनाओं को गढèने के साथ प्राचीन सभ्यता को उसके पूर्ण विकास में प्रस्तुत करने की कोशिश की है।

रंगजीत ने बताया कि झांकी में सिधु नदी के साथ उस समय की आजीविका, भोजन की आदतों और पके हुए ईंट के घरों को प्रदर्शित करने का प्रयास किया है। पूरी झांकी मुख्य रूप से रेत से बनी है। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो शहरों को भी धीरे-धीरे पानी में डूबते हुए दिखाने की कोशिश की गयी है। इसके साथ ही आगंतुकों के लिए एक अन्य प्रमुख आकर्षण मांग दुर्गा के दर्शन के देखने के लिए कृत्रित नदी पर नाव की सवारी होगी। कुछ आयोजकों ने वास्तुशिल्प मनोरंजन से लेकर दिवंगतों को श्रद्धांजलि की ओर बढèते हुए विश्वप्रसिद्ध फिल्मकार सत्यजीत रे की शताब्दी जयंती को अभिव्यक्त करते थीम को बुना है। बिधान अबासन में भारतीय सिने जगत में मील का पत्थर माने जाने वाली सत्यजीत रे की पहली फिल्म पाथेर पांचाली में गुरु द्बारा चित्रित निश्चिदीपुर गांव की विभिन्न छवियां झांकी को सुशोभित करेंगी। प्रतिष्ठित ट्रेन ­श्य, सफेद कंश घास (सैकरम स्पोंटेनियम), नायक अपु और दुर्गा के कट-आउट और स्वयं रे के ­श्य इसके अन्य आकर्षण होंगे।

कोलकाता शहर के कबीरराज बागान सामुदायिक पूजा समिति ने दिवंगत गायक केके को श्रद्धांजलि देते झांकी तैयार की है। झांकी में केके की एक प्रतिमा होगी जिसमें संगीत कार्यक्रम की रात का अनुकरण करने वाली एलईडी रोशनी के साथ प्रदर्शन किया जायेगा। ठीक विपरीत छोर पर देवी दुर्गा की मूर्ति होगी। दक्षिणी कोलकाता में कालीघाट युवा मैत्री क्लब न्यूजीलैंड के आदिवासी कला रूप को प्रदर्शित करने जा रहा है। यहां के शिल्पकार सिद्धार्थ ने बताया कि हम माओरी लकड़ी पर नक्काशी की कला पेश कर रहे हैं। यह कला रूप उनकी संस्कृति का प्रतीक है। माओरी लोगों के चेहरे पर दिखाई देने वाले अस्तर के डिजाइन और उनके शरीर पर उकेरे गये टैटू मां दुर्गा की प्रतिमा में गढèे जायेंगे।

कोलकाता महानगर के बड़े पूजा आयोजकों में से एक अलीपुर सुरुचित संघ वैश्विक मानसिकता को प्रदर्शित करते हुए कोरोना वायरस के संकट से मुक्त होने तथा दुनिया को फिर से शांत होने के विषय की अवधारणा पेश करने जा रहा है। आयोजन समिति से जुडे एक पदाधिकारी ने कहा कि कोविड-19 की महामारी से तबाह हुई दुनिया के साथ यह त्योहार इस उम्मीद की रोशनी को फिर से जगाने का एक मौका है कि स्थितियां जल्द ही सामान्य हो जाएंगी।उन्होंने कहा , '' हमारी थीम इस उम्मीद के इर्द-गिदã बुनी गई है कि कोरोना वायरस समाप्त हो जायेगा और दुनिया पहले की तरह हो जायेगी।’’



 

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