फिक्स रेट के अलावा महिला यात्रियोंं की सुरक्षा का प्रयास करेंगी
जयपुर। जयपुर में ऑटो रिक्सा चलाने में अब तक पुरूषों का आधिपत्व माना जा रहा था, मगर अब हवा बदलने लगी है। शहर मेंं अनेक महिलाएं बैट्री रिक्सा गाड़ी चलाने की तैयारियां कर रही है। कुछ ही दिनों में वे गाड़ी सहित जयपुर की सड़कोें पर घूमती दिखाई दे जाएंगी। पुरूषांे की तुलना में इनके वाहन की सीट पर्याप्त आराम दायक रहेगी, स्वच्छता का पूरा ध्यान दिया जाएगा। यात्रियों के लिए पानी की भी व्यवस्था होगी। उनका व्यवहार पुरूषों की तुलना में अधिक शालीन रहेगा। अपने वाहन में प्राथमिक स्वास्थ्य किट रखा जाएगा महिलाओंे की सुरक्षाऔर शालीनता का पूरा प्रयास करेगी। लेडी चालकोें का कहना है कि यात्रियों को अब तक पुरूषों की ड्राईविंग पर भरोसा करना होता था, अब उनके सामने विकल्प होगा।
वे अपनी पसंद के अनुसार पुरूष या महिलाओं की ड्राइवरी वाले रिक्सा की सवारी कर सकेगे । यहां एक बात और काम की है कि इस पेश्ो मेंं अनेक समाज कंटकों की घुसपेठ हो गई है। शराब पीकर गाड़ी चलाने और महिला सवारियों के साथ छेड़- छाड़ की वारदातें आम हो चली है। इसका अर्थ यह नहीं है कि सभी ऑटो रिक्सा चालक एक से है। मगर यहां समस्या इस बात की होती है कि ऑटो चालक के दिमाग में क्या खुराफात चल रही है, इसका पता किसी को नहीं होता है। कहने को उन्हें पुलिस का प्रोटेक्शन है, मगर जब तक वह मौके पर पहुंचती है, उन्हें अपराध के भागने का मौका मिल जाता है। ऑटो रिक्सा के संचालन व ड्राईविंग के फील्ड में महिलाएं भी आने पर इस बात पर विश्वास किया जा सकता है कि लैडीज ऑटोंे के चालकों के रहते सवारियां स्वाभिमान से सफर कर सकेगी। चीटिंग की संभावना कम रहेगी।
जानकारी के अनुसार ऑटो रिक्सा चलाने की सेवाएं देने का एक लाभ यह भी होगा कि इससे महिलाओं में विश्वास जागेगा। उनमंें आत्मनिर्भरता की भावनाएं विकसित होंगी। परिवार का खर्च उठाने और आर्थिक उन्नती का मार्ग खुलेगा। पैसोें की बचत के बूते पर आगे जाकर वे अपने परिवार का खर्च वहन करने में पुरूषों का सहयोग कर पाएंगी। परिवार के विकास के जरिए वे अपने बच्चोंे को इंग्लिश मीडियम स्कूलों में शिक्षा दिलाने के साथ- साथ उनके स्वास्थ्य का बेहतर ढंग से ख्याल कर पाएंगी । फिर कारोबार के फील्ड मंे महिलाओं का सीधा जुड़ाव होने पर वे देश के विकास का स्तंभ साबित होगी।
महिलाओं के उत्थान को लेकर हाल ही में देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक समारोह के संबोधन के दौरान महिलाओें को भारत की लक्ष्मी की संज्ञा दी थी । इस पर उत्साह का माहौल बना और अनेक सेवा भावी संस्थाओंे के साथ- साथ कई बैंकोंं ने महिलाओं को बैट्री रिक्सा की खरीद के लिए बिना अधिक औपचारिकता के आसानी से ऋण उपलब्ध करवाएगी। यही सुविधाएं अन्य फील्ड में काम कर रही महिलाओे को भी मिल सकेगी। तलाक, विधवा और पुरूषोंे के उत्प्रीडन की शिकार महिलाओंे के पांव मजबूत होंगे। सामाजिक व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए उनका सक्रिय सहयोग हो सकेगा।
सूत्रों का कहना है कि परिवार में महिलाओंे की भूमिका आर्थिक मामलों की प्रभारी क े तौर पर होने पर वे परिवार को फिजूल खर्ची से बचाएगी। आपदाओं के समय वह निर्णायक भूमिका निभाने के चलते वे संकट मोचक की भूमिका अदा कर सकेगी। कामकाजी महिलाओंे का कहना है कि कमाई का पैसा उनके पास आकर वह खुद भूखी रह कर अनेक सामाजिक मामलों में वह परिवार के साथ खड़ी रहती आई है। ऑटो रिक्सा कारोबार में उनका सहयोग मिलने पर परिवार की कमाई में इजाफा करेगी।
हेमा का कमाल ऑटो रिक्सा की ड्राइविंग को लेकर अक्सर पुरूष उनका मजाक उड़ाने से नहीं चूकते हैं। मगर सच यह है कि महिलाएं अब बड़े वाहन ट्रक और बसों की ड्राईविंग सीट पर बैठी नगर आती है। विमान उड़ाने और अंतरिक्ष यात्रा में वह पुरूषों को मात दे रही है।
सफल व्यवसायी के तौर पर जयपुर की ही एक महिला ऑटो चालक कहानी अनुकरणीय है। जानकारी के अनुसार हेमा सिंह नृतका होने पर कला के क्ष्ोत्र में अनूठी भूमिका अदा कर रही थी, इस सिलसिले मेे राष्ट्रस्तरीय समारोह ांे में शामिल होकर अपनी कला का प्रदर्शन करती रही। मगर तब समस्या इस बात की हो गई थी कि इस क्ष्ोत्र मंे उसे आमद बहुत कम हुआ करती थी। कई बार तो उसे महिनों तक काम नहीं मिलता था। ऐसे मेंे बच्चोंे का पेट भरने में वह काठिनाई महसूस करने लगी थी। ऐसे में उसने अधिक पैसा कमाने के लिए अन्य फील्ड की तलाश करने लगी। तभी उसक ी सहेलियों ने ऑटो चालक की बात बताई। मगर बाद में फैसला किया कि इस फील्ड को आजमाने में बुराई क्या है। समस्या ऑटो रिक्सा चलाने की आई।
जिसके लिए उसने जयपुर की एक सेवाभावी संस्था से संपर्क किया। उनकी देखरेख में ऑटो रिक्सा चलाने का अभ्यास करने लगी। कुछ ही दिनों में उसकी ड्राईविग में निखार आता गया। जयपुर क ी चार दिवारी में कई बार ऑटो लेकर गई। हर क्ष्ोत्र में सफलता की सीढी चढती रही। नृतिका की तुलना में ऑटो रिक्सा चलाने पर उसके परिवार की आमद में इजाफा होने लगा। इसका सबसे अधिक असर जयपुर की उत्पीड़ित महिलाओंे पर पड़ा। देखा- देखी वे पिंक सिटी संस्थान में ट्रेनिंग लेने लगी है। बैंक ऋण पाने में सुविधा हो जाने पर यह व्यवसाय गरीब महिलाओं के लिए वरदान साबित हो गया है। उस जैसी समस्याओं की शिकार महिलाओंे के लिए अनुकरणीय बन गई है।