जयपुर। कैंसर को लेकर आज दुनिया भर में भय का वातावरण बना हुवा है।इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए चार फरवरी को विश्व कैंसर मनाया जाता है। वर्ष 1933 में इस दिन को मनाने की शुरुवात हुई थी। तब स्वीटजर लैंड में विशेष समारोह का आयोजन किया गया था।
कैंसर शब्द की उत्पत्ति का श्रेय यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स 370 ईसा को दिया जाता है। हिप्पोक्रेट्स ने गैर अल्सर बनाने और कैंसर ट्यूमर बनाने वाले ट्यूमर की जानकारी देने के लिए कार्सिनो ओर क्रोसीनोमा शब्द का स्टमल किया। ग्रीक भाषा में ये शब्द केकड़े को संदर्भित करता है। 2003 कई शोध के बाद इस बात का पता चला । इसके बाद इस रोग के उपचार को लेकर दुनियां भर में शोध कार्यों में काफी गतिशीलता देखने को मिली। कहा तो यह भी जाता है कि तीन हजार साल पहले मिस्र की मम्मियों में कैंसर के सेल्स देखे गए। इसी समय इस रोग को देवो का कोप बताया गया था।
पांच शो साल ई पु भारत में रामायण में बढ़ते ट्यूमर को रोकने के लिए आर्सेनिक पेस्ट के साथ उपचार की जानकारी दी थी। इटली के चिकित्सकों ने अपने शोध में कहा की इस ट्यूमर को सर्जरी से उपचारित किया जा सकता है। भारत में हर दस में एक भारतीय को कैंसर होने की संभावना होती है। 2025 साल तक देश में सोलह लाख लोग कैंसर के शिकार हो सकते है। यह बीमारी सौ से भी अधिक तरह की होती है।
इनमें आम तौर पर स्किन,ब्रेस्ट, लंग,प्रोस्टेड, कोलो रेक्टल,ब्लड, मेला नोमा,लिमफोड लीवर कैंसर देखने को मिलते है। कैंसर होने के कारणों में धूम्रपान,गुटखा,फिजिकल एक्टिविटी न होना,खराब डाइट, एक्स की करने आदि है। लोगों को इस दौरान बताया था कि यह बीमारी छूने से नहीं फैलती है। ऐसे में कैंसर पेटेंट के साथ अच्छा व्यवहार किया जाना चाइए। इस बार का। जहां तक सवाल है ,क्लोज द केयर गैप थी थीम पर जयपुर भर में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। यू पी में इस दिन कैंसर रोग की पहचान के लिए कमुनिति हेल्थ वर्कर स्क्रीनिंग करने के लिया।