वाह रे फक्कड़ांे लंगोट भी नहीं छोड़ी, चुराकर ले गए

Samachar Jagat | Tuesday, 21 Jun 2022 11:06:08 AM
Wow, he didn't even leave the loincloth, stole it away

जयपुर। शहर में चोरियां और छीना झपटी की वारदातें होती रही है। कीमती सामान के अलावा नगदी तक को चुराना आम बात हो गई है। मगर यह मामला इनमें लीक से जरा हटकर है। वाकिए के अनुसार दौसा निवासी प्रहलाद नाम का सख्स एक के बाद एक दुखद घटनाओें का शिकार होता रहा। सबसे पहले उसकी बीबी ने उसका साथ छोड़ दिया। क ोरोना के चलते उसकी मौत हो गई। संतान क ोई थी नहीं। भाई बंद जरूर थ्ो, मगर मुसीबत के क्षणोंं में क ौन किसका साथ देता है। अकेला ही मुसीबतों से लड़ता रहा। संघर्ष करता रहा। तभी पैतृक संपत्ति को लेकर उसका उसके अपनोंं के साथ विवाद हो गया। सभीं ने एक राय होकर,उसके साथ मारपीट की। कच्ची झांेंपड़ी तक को नहीं छोड़ा। जाते- जाते यह चेतावनी दे गए कि आगे से गांव के आसपास भी कहीं दिखाई दे गया तो तेरा मर्डर कर दिया जाएगा। घबराया हुआ। डरा हुआ यह सख्स प्रहलाद गांव छोड़ कर भाग लिया। ना जाने कितनी जगह- जगह भटकता रहा, अपने पुराने मित्रों से भी मिला। उसकी मदद का आग्रह करने लगा। यहां भी उसे जब सकरात्मक जवाब नहीं मिला तो, खाली हाथ और नंगे पांव जयपुर चला आया। यहां के बारे में उसने क ाफी सुना था। यहीं कि जयपुर में दानदाता लोगों की का ोई कमी नहीं है। ज्यादा नहीं तो क ोई पुराना साइकिल रिक्सा दिला देगा तो किसी तरह अपना पेट भर लेगा।

प्रहलाद कहता है कि उसे भीख मांगने से सख्त नफरत है। इसी के चलते वह कई बार भूखा सोया। मगर किसी के भी आगे अपना हाथ नहीं फैलाया। इसी बीच एक दिन वह भगवान महावीर विकलांग समिति के दफ्तर गया। वहां के संचालक डी.आर.मेहता से मिला। अपना सारा वृतांत सुनाया। दयावान मेहता ने उसे साइकिल रिक्सा दिलवा दिया। प्रहलाद बड़ा खुश हुआ और हर वक्त इस पर पैनी नजर रखा करता था। रात के समय वह फुटपाथ की जगह अपने रिक्से में ही सोया करता था। मगर लगता था, उसक ी लाइफ में खुशियां लिखी ही नहीं थी। एक दिन सुबह के वक्त नित्य कर्म के लिए वह एसएमएस के निकट सुलभ शौचालय गया हुआ था, पीछे से क ोई उचक्का रिक्से में लगा ताला तोड़ कर चम्पत हो गया। दुखी प्रहलाद बड़ा रोया। क्या करता। इसके अलावा के उसके पास था ही क्या। पुलिस स्टेशन गया। मगर रिपोर्ट दर्ज नहीं हो सकी। पर पुलिस के अफसर ने उसका सारा दुख सुना और कहा कि केस दर्ज करवाने से तुझे कुछ नहीं मिलने वाला है। हमारा प्रयास रहेगा कि चोरी गया तेरा रिक्सा खोज कर तुझे लौटा दिया जाएगा।

इसी बीच, कुछ दिनोें पहले उसका संपर्क जैन समाज के एक समाज सेवी से हुआ तो उसने उसने उसकी फरियाद पूरी करदी। किसी से कह सुन कर पुराना रिक्सा दिलवा दिया। इस बार वह बड़ा सतर्क था। दिन के समय भी अपने रिक्से से चिपका रहता था। आते-जाते संदिग्ध बदमाशों पर पूरी नजर रखता था। तेज धूप और सूरज की तपत के समय भी वह सवारियों को ढोता रहा। इसी का परिणाम रहा कि वह लू का शिकार हो गया। एसएमएस अस्पताल की धनवंतरी आउटडोर में दिखाया। चिकित्सकोें की सलाह के मुताबिक ठंडी छांव मंें बैठकर आराम करने लगा। बीमारी की अवस्था में वह ज्यादा भाग दौड़ नहींे कर पा रहा था। तेज बुखार का शिकार हो कर वह एक दिन दोपहर के समय वह अपना साईकिल रिक्सा खड़ा करके सो गया। इसी बीच क ोई बदमाश वहां आया और जौर जबरन रिक्सा ले जाने लगा। जाग होने पर प्रहलाद उसका मुकाबला करने लगा। शरीरिक रूप से कमजौर होने पर वह मार खाता रहा। शौर मचाता रहा। मगर राह चलते क ोई भी व्यक्ति मदद के लिए नहीं आया। इस बार उसका रिक्सा तो हाथ से गया ही साथ में उसकी सीट के नीचे रखा अपना सामान जिसमें पर्स और पहनने के कपड़े जिनमंे कच्छा और पुराना बनियान था, उससे भी वंचित हो गया।

मुसीबतों पर मुसीबतें, मगर प्रहलाद ने हिम्मत नहीं हारी। बड़ा थ्ौला लेकर शहर की गलियों में भटक कर कचरा बीनने लगा। इसी के चलते थोड़ा बहुत जो भी पैसा मिलता था, दोनों वक्त का भोजन और चाय - बीड़ी का खर्च उठाने लगा। प्रहलाद कहता है कि पैसे जोड़ कर उसने जवाहर नगर कच्ची बस्ती में किराए पर झांेंपड़ा ले लिया। इसी बीच जयपुर मेंलॉक डाउन लग गया था। कफ्र्यू के हालातों के चलते उसके भूख्ो मरने की नौबत आ गई। इसी दौरान अपने जैसे हम साथी से मुलाकात हो गई। उसके बताए अनुसार जे.के.लॉन अस्पताल में सुबह और सायं के समय निशुल्क भोजन बांटने वाली गाड़ी पर चला जाता था। जहां, जो भी उसे मिलता था, सिर-माथ्ो पर लगा कर उसका सेवन करने लगा। प्रहलाद चाहता था कि किसी दान दाता क ी मदद से उसे एक बार फिर से साईकिल रिक्सा दिलवा दिया जाए। इस बार वह पूरी सतर्कता से उसकी हिफाजत करेगा और अपनी कमाई में कुछ पैसा बचाकर अपने बैंक खाते में जमा करवाता रहेगा। ठीक ही तो है, मुसीबतों के क ोई स्वर नहीं होते। उसकी आहट से बचने के लिए पूरी तैयारियां कर रहा है। वह बताता है कि गरीबी और अभाव की जिंदगी हर समय नहीं होती। आज के दुख भरे दिनों का सामना करो। सफलता का दीप कभी तो जगमगाता दिख्ोगा।



 

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