The Kashmir Files: पुष्करनाथ की मौत को देख फूट-फूट कर रोया विवेक, अनुपम खेर ने शेयर किया वीडियो

Samachar Jagat | Saturday, 02 Apr 2022 12:21:48 PM
The Kashmir Files: Vivek cried bitterly on seeing Pushkarnath's death, Anupam Kher shared video

बॉलीवुड में धूम मचाने वाली फिल्म द कश्मीर फाइल्स के एक्टर अनुपम खेर इन दिनों एक के बाद एक फिल्म को लेकर चौंकाने वाले खुलासे कर रहे हैं. जी हाँ, फिल्म की रिलीज के बाद से वह लगातार सोशल मीडिया पर इससे जुड़े वीडियो और तस्वीरें शेयर करते रहे हैं और लोगों से फिल्म के जरिए कश्मीरी पंडितों की सच्चाई जानने की अपील करते रहे हैं. हालांकि फिल्म को लेकर अभी भी काफी चर्चा और बहस चल रही है, लेकिन अनुपम खेर इसमें फिल्माए गए सीन्स को शेयर कर लोगों तक पहुंच रहे हैं कि सीन को शूट करना कितना मुश्किल था.

 

जब सिनेमा की सच्चाई ज़िंदगी की सच्चाई जैसी बन जाती है तो आंसूऔ का सैलाब रुकने का नाम नहीं लेता। #TheKashmirFiles में पुष्करनाथ की #DeathScene के बाद @vivekagnihotri @DarshanKumaar और मैं फूट फूट कर रोये थे! ये रहा उस शॉट के बाद का विडीओ!  #WhenReelBecomesReal #KashmiriHindus pic.twitter.com/Wk4k9GdvyI

— Anupam Kher (@AnupamPKher) April 1, 2022


 

उन्होंने हाल ही में एक बार फिर द कश्मीर फाइल्स से उस क्लिप को शेयर किया है जिसमें उनके किरदार पुष्करनाथ की मौत हो गई है। कुछ समय पहले एक इंटरव्यू में फिल्म के डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने जिक्र किया था कि जब पुष्करनाथ की मौत हुई तो उन्होंने अनुपम खेर को गले लगाया और खूब रोए. वही वीडियो अनुपम खेर ने शेयर किया है जो आप यहां देख सकते हैं. यह वीडियो 'बिहाइंड द सीन' का है।

वीडियो के साथ अभिनेता ने कैप्शन में लिखा, "जब सिनेमा की सच्चाई जीवन की सच्चाई की तरह हो जाती है, तो आँसुओं की बाढ़ थमने का नाम नहीं लेती। पुष्करनाथ के बाद विवेक अग्निहोत्री, दर्शन कुमार और मैं फूट-फूट कर रो पड़े। द कश्मीर फाइल्स में मौत का दृश्य! ये है उस शॉट के बाद का वीडियो!'' आप सभी को बता दें कि इससे पहले अनुपम खेर ने साल 1993 में कश्मीरी पंडितों द्वारा दिल्ली में आयोजित एक सेमिनार का एक वीडियो शेयर किया था। उस दौरान उन्होंने कहा था, मैं हमेशा से उनकी आवाज रही हूं।'' इस वीडियो में उन्होंने कहा- कभी-कभी हैरानी होती है कि यह सब कैसे हो गया। दुख होता है कि यह कैसे हुआ। मेरे दादाजी का कमरा नई गली में था। जब मैं वहाँ छुट्टी पर जाता था तो सोचता था कि मैं अपने दादा के बाद इस कमरे की सारी किताबें अपने साथ ले जाऊँगा। वह छोटी सी अलमारी जिसमें उसकी कीमती, उन किताबों का कोई मूल्य नहीं था। जो भी पैसे दिए गए थे, उन किताबों को नहीं खरीदा जा सकता था।



 

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