जोहानिसबर्ग : दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने देश में भीषण बाढ़ के प्रकोप के कारण राष्ट्रीय आपदा की स्थिति और इससे निपटने के लिए कई उपायों की घोषणा की है। बाढ़ के कारण तटीय प्रांत क्वाजुलु-नेटल प्रांत (केजेडएन) में 400 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और कई लोग लापता हैं। 40,000 से अधिक लोग बेघर भी हुए हैं। कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण पिछले दो साल से देश में लगे प्रतिबंधों को हटाने की घोषण करने के एक पखवाड़े बाद ही रामफोसा ने राष्ट्रीय आपदा स्थिति की घोषणा की है।
चार दिन से हो रही भीषण बारिश के बाद आई बाढ़ के लिए सोमवार को रामफोसा ने जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया ।
राष्ट्रपति ने कहा कि हालांकि पिछले हफ्ते केजेडएन में आपदा की प्रांतीय स्थिति घोषित की गई थी, लेकिन अब बाढ़ ने डरबन से पूरे देश में ईंधन लाइनों और खाद्य आपूर्ति को बाधित कर दिया है। डरबन, दक्षिण अफ्रीका का मुख्य प्रवेश बंदरगाह है।
बचाव दल केजेडएन में उन लोगों की तलाश में जुटे हैं, जो हाल के दिनों में भारी बारिश के बाद बाढ़ और भूस्खलन के कारण लापता हो गए थे। इस आपदा में 400 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है। अफ्रीका के सबसे व्यस्त बंदरगाहों में से एक डरबन में बाढ़ से हजारों लोग बेघर हो गए हैं, बिजली और पानी की सेवाएं ठप हैं । रामफोसा ने कहा कि ऐसे संकेत हैं कि आसन्न प्रतिकूल मौसम की स्थिति अन्य प्रांतों को भी प्रभावित कर सकती है। इसलिए राष्ट्रीय आपदा की स्थिति घोषित करना हो गया है।
कई सड़कें और पुल तबाह हो गए हैं। बुनियादी ढांचे की मरम्मत का काम रक्षा बल को सौंपा गया है। राष्ट्रपति ने आपदा से निपटने के लिए तीन चरणीय योजना की घोषणा की । उन्होंने कहा, '' सबसे पहले, हम तत्काल मानवीय राहत मुहैया कराने पर ध्यान केंद्रित करेंगे, यह सुनिश्चित करते हुए कि सभी प्रभावित लोग सुरक्षित हैं और उनकी बुनियादी जरूरतें पूरी हो रही हैं।
इसके बाद दूसरे चरण में हम स्थिरता लाने और स्थिति से उबरने पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जिन लोगों ने अपना घर खो दिया है उन्हें पनाह दी जाएगी और सेवाओं को बहाल किया जाएगा। तीसरे चरण में हम बाढ़ के कारण तबाह हो गईं इमारतों तथा बुनियादी ढांचों के पुन:निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेंगे।’’