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पाकिस्तान में सिंधु नदी जल प्रणाली (Indus River System) में पानी की भारी कमी अब गंभीर कृषि संकट का रूप लेती जा रही है। इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी (IRSA) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, सिंध प्रांत को इस बार 27,000 क्यूसेक कम पानी मिला है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 17% की कटौती को दर्शाता है।
सिंध प्रांत को भारी झटका
16 जून 2025 को सिंध को मात्र 1,33,000 क्यूसेक पानी मिला, जबकि पिछले साल इसी तारीख को उसे 1,60,000 क्यूसेक पानी दिया गया था। यह कमी सीधे-सीधे सिंध प्रांत के किसानों की जीवनरेखा को प्रभावित कर रही है। यहां की अधिकांश फसलें सिंचाई के लिए इसी जल प्रणाली पर निर्भर हैं।
पंजाब को भी पानी में कटौती
केवल सिंध ही नहीं, बल्कि पंजाब प्रांत को भी पानी में कटौती का सामना करना पड़ा है। इस साल 16 जून को पंजाब को 1,25,700 क्यूसेक पानी मिला जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 1,28,600 क्यूसेक था। यानि 2.25% की कमी पंजाब में भी देखी गई है।
खरीफ सीजन में पड़ा असर
इस जल संकट का सबसे बड़ा असर खरीफ फसलों की बुवाई पर पड़ रहा है।
पाकिस्तान में खरीफ फसलों का बुआई सीजन चल रहा है, और पानी की भारी कमी ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अगले दो सप्ताह में पानी की स्थिति नहीं सुधरी, तो फसलें बर्बाद होने का खतरा है।
मानसून आने में अभी देरी
मौसम विभाग के अनुसार, पाकिस्तान में मानसून जून के अंत या जुलाई की शुरुआत में पहुंचता है। यानी आने वाले 10 से 15 दिन जल संकट और विकराल हो सकता है।
भारत ने बंद की जल जानकारी की आपूर्ति
इस संकट की एक बड़ी वजह यह भी है कि भारत ने सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को स्थगित कर दिया है और अब पाकिस्तान को नदियों के जलस्तर की जानकारी देना बंद कर दिया है।
भारत ने यह कदम 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के एक दिन बाद उठाया था।
23 अप्रैल को भारत ने औपचारिक रूप से 1960 की संधि को आस्थगित कर दिया।
आने वाले हफ्तों में बाढ़ का खतरा भी
अब यह भी आशंका जताई जा रही है कि मानसून के दौरान यदि नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ा, तो पाकिस्तान को पर्याप्त जानकारी न होने की वजह से बाढ़ और आपदा जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
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सिंधु नदी जल प्रणाली में कमी ने पाकिस्तान के सिंध और पंजाब जैसे प्रमुख कृषि प्रांतों को बुरी तरह प्रभावित किया है।
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खरीफ फसलें संकट में हैं, और आने वाला मानसून भी अनिश्चितता से भरा है।
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भारत-पाक संबंधों में बढ़ती खटास का सीधा असर अब जल और कृषि संकट के रूप में पाकिस्तान झेल रहा है।
क्या पाकिस्तान इस संकट से उबर पाएगा? या आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ेंगे? जवाब मानसून और भारत-पाक रिश्तों की दिशा तय करेंगे।