President Murmu : मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख और पूरे कर सकता है

Samachar Jagat | Monday, 25 Jul 2022 01:19:51 PM
My election is proof that the poor can dream and fulfill in India

नयी दिल्ली | राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है और उनका शीर्ष संवैधानिक पद पर निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है। संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित समारोह में आज भारत के प्रधान न्यायाधीय एन वी रमण ने मुर्मू को देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी।

शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा, '' मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है जब हम अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा।”
उन्होंने कहा कि ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी और आज आजादी के 75वें वर्ष में उन्हें यह नया दायित्व मिला है।

राष्ट्रपति ने कहा, '' मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूं जिसका जन्म आज़ाद भारत में हुआ है। हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है।’’
मुर्मू ने कहा, ''राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, यह भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है।’’

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने अपनी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गांव से शुरू की थी और वह जिस पृष्ठभूमि से आती हैं, वहां उनके लिये प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था। उन्होंने कहा, '' लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी। मैं जनजातीय समाज से हूं, और वार्ड पार्षद से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है। यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है।’’

उन्होंने कहा कि यह हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है। मुर्मू ने कहा, ''मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि जो सदियों से वंचित रहे, जो विकास के लाभ से दूर रहे, वे गरीब, दलित, पिछड़े तथा आदिवासी मुझ में अपना प्रतिबिब देख रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि उनके इस निर्वाचन में देश के गरीब का आशीर्वाद शामिल है और यह देश की करोड़ों महिलाओं और बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की झलक है।

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि उनके इस शीर्ष संवैधानिक पद पर निर्वाचन में, पुरानी लीक से हटकर नए रास्तों पर चलने वाले भारत के युवाओं का साहस भी शामिल है तथा वह ऐसे प्रगतिशील भारत का नेतृत्व करते हुए खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं। उन्होंने कहा कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद से लेकर रामनाथ कोविन्द तक, अनेक विभूतियों ने इस पद को सुशोभित किया है और इस पद के साथ साथ देश ने इस महान परंपरा के प्रतिनिधित्व का दायित्व भी उन्हें सौंपा है।
उन्होंने कहा, '' मैं आज समस्त देशवासियों को, विशेषकर युवाओं को तथा महिलाओं को यह विश्वास दिलाती हूं कि इस पद पर कार्य करते हुए मेरे लिए उनके हित सर्वोपरि होंगे।’’

मुर्मू ने कहा कि संविधान के आलोक में वह पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगी और उनके लिए भारत के लोकतांत्रिक-सांस्कृतिक आदर्श और सभी देशवासी हमेशा ऊर्ज़ा के स्रोत रहेंगे।राष्ट्रपति ने कहा कि जगन्नाथ क्षेत्र के एक प्रख्यात कवि भीम भोई की कविता की एक पंक्ति है “मो जीवन पछे नर्के पड़ी थाउ, जगत उद्धार हेउ।’’ उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि अपने जीवन के हित-अहित से बड़ा कार्य जगत कल्याण के लिए कार्य करना होता है।

उन्होंने कहा, '' जगत कल्याण की भावना के साथ, मैं आप सब के विश्वास पर खरा उतरने के लिए पूरी निष्ठा व लगन से काम करने के लिए सदैव तत्पर रहूंगी।’’उन्होंने कहा कि हमारा स्वाधीनता संग्राम उन संघर्षों और बलिदानों की अविरल धारा था जिसने आज़ाद भारत के लिए कितने ही आदर्शों और संभावनाओं को सींचा था। मुर्मू ने महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने स्वराज, स्वदेशी, स्वच्छता और सत्याग्रह के माध्यम से भारत के सांस्कृतिक आदर्शों की स्थापना का मार्ग दिखाया था।

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, बाबा साहेब आंबेडकर, भगत सिह, सुखदेव, राजगुरू, चन्द्रशेखर आज़ाद जैसे स्वाधीनता सेनानियों तथा राष्ट्ररक्षा और राष्ट्रनिर्माण में रानी लक्ष्मीबाई, रानी वेलु नचियार, रानी गाइदिन्ल्यू और रानी चेन्नम्मा जैसी वीरांगनाओं के योगदान का जिक्र किया ।उन्होंने यह भी कहा कि एक संसदीय लोकतंत्र के रूप में 75 वर्षों में भारत ने प्रगति के संकल्प को सहभागिता एवं सर्व-सम्मति से आगे बढ़ाया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विविधताओं से भरे अपने देश में हम अनेक भाषा, धर्म, संप्रदाय, खान-पान, रहन-सहन, रीति-रिवाजों को अपनाते हुए 'एक भारत – श्रेष्ठ भारत’ के निर्माण में सक्रिय हैं।

मुर्मू ने कहा कि कोविड महामारी के वैश्विक संकट का सामना करने में भारत ने जिस तरह का सामर्थ्य दिखाया है, उसने पूरे विश्व में भारत की साख बढ़ाई है। उन्होंने कुछ ही दिन पहले भारत द्बारा कोरोना रोधी टीके की 200 करोड़ खुराक लगाने के कीर्तिमान का भी जिक्र किया ।शपथ ग्रहण समारोह से पहले मुर्मू ने राजघाट स्थित महात्मा गांधी के स्मारक पर सोमवार सुबह पुष्पांजलि अर्पित की। संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह से पहले, निवर्तमान राष्ट्रपति और नव निर्वाचित राष्ट्रपति संसद पहुंचे। उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मंत्रिपरिषद के सदस्य, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, संसद सदस्य आदि समारोह में मौजूद थे । 



 

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