इंटरनेट डेस्क। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को श्रीलंका की राजधानी कोलंबों में भारत और श्रीलंका के मछुआरा समूहों से बातचीत की। दोनों देशों के बीच मछली आखेट को लेकर लगातार वाद-विवाद सामने आता रहा है। भारतीय मछुआरों द्वारा गलती से श्रीलंकाई जल सीमा में प्रवेश करने पर उनके साथ श्रीलंकाई नौसेना द्वारा भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने के मामलों पर भी विदेश मंत्री ने श्रीलंकाई सरकार से वार्ता की। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि हम श्रीलंकाई जेलों में बंद भारतीय मछुआरों की तुरंत रिहाई के पक्ष में हैं और जल्द से जल्द श्रीलंकाई सरकार द्वारा उन्हें रिहा कर दिया जाएगा।

उन्होंने साथ ही कहा कि कोरोना जैसी वैश्विक बीमारी ने जहां हमें परेशानी में डाला है वहीं दोनों देशों को साथ काम करने के लिए एक मौका भी दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वर्चुअल समिट में भी दोनों देशों के आर्थिक रिश्ते को मजबूत करने व और बढ़ाने की बात कही गई थी।

वहीं श्रीलंका के विदेश मंत्री दिनेश गुणवर्धने ने कहा कि अभूतपूर्व संकट के इस दौर में भारत और पीएम नरेन्द्र मोदी की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी ने स्वास्थ्य और अर्थव्य्वस्था पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। श्रीलंकाई सरकार जल्द ही भारतीय मछुआरों की रिहाई करेगी। गौरतलब है कि भारत के तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल और पुडुचेरी के मछुआरे मछली आखेट के दौरान अधिकतर श्रीलंकाई जल सीमा में प्रवेश कर जाते हैं। इस दौरान वहां श्रीलंकाई नौसेना से उनका सामना होता है और कई मछुआरों को पकड़ लिया जाता है। इस संबंध में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री लगातार मछुआरों की रिहाई के लिए पीएम को खत लिखते रहते हैं।