कोलंबो : श्रीलंका सेंट्रल बैंक (सीबी) ने श्रीलंकाई प्रवासियों से देश के घटते विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने की अपील की है। बैंक का ऐसा कहना उनके नव निर्वाचित गर्वनर नंदलाल वीरसिग के लिए था, जो राष्ट्रपति सहित सभी राजनीतिक दलों से कह चुके हैं कि अगर अगले कुछ हफ्तों में राजनीतिक स्थिरता हासिल नहीं की गई है, तो वह अपना इस्तीफा दे देंगे। ऐसे में देश की चरमराई अर्थव्यवस्था में जान डालने के लिए अंतरराष्ट्रीय फंडिग एजेंसियों के साथ बातचीत करना असंभव हो जाएगा।
बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,''समय कठिन है। विदेशों में करीब दस लाख श्रीलंकाई नागरिक कार्यरत हैं। अगर वे कम से कम 500 डॉलर भी भेजते हैं, तो हम तब तक के लिए ही सही वस्तुओं का आयात करा सकते हैं, जब तक कि हमें अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से वित्त नहीं मिल जाता है।’’ प्रवासी नागरिक देश में पैसा भेजने के लिए अनौपचारिक चैनलों का उपयोग कर रहे हैं क्योंकि आधिकारिक विनिमय दर और ग्रे मार्केट दर के बीच एक बड़ी असमानता है।
अब, नियामक बैंकों को आधिकारिक चैनलों के माध्यम से निर्यातकों और आयातकों के बीच अधिक लेनदेन को आकर्षित करने के लिए इंटरबैंक विनिमय दर तय करने की आवश्यकता है। वर्तमान में आधिकारिक दर और ग्रे मार्केट रेट में असमानता के कारण व्यापार वित्तपोषण और अन्य प्रकार के लेनदेन वित्तीय प्रणाली के बाहर किए जाते हैं। यह विनिमय दर और विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने में मदद करेगा और सभी के लिए एक उचित दर की अनुमति देगा। श्री वीरसिघे ने चेतावनी दी कि मौजूदा विदेशी भंडार मुश्किल से अब एक सप्ताह के लिए ही आयात किया जा सकता है।