Pakistan में सेना विरोधी कार्यक्रम के प्रसारण के आरोप में गिरफ्तार टीवी कार्यकारी अधिकारी रिहा

Samachar Jagat | Friday, 12 Aug 2022 09:25:23 AM
TV executive arrested for broadcasting anti-military program in Pakistan released

कराची (पाकिस्तान) : पाकिस्तान के कराची की अदालत ने सेना विरोधी प्रसारण के आरोप में गिरफ्तार कि, एगए एक टीवी समाचार निदेशक को रिहा करने का आदेश बृहस्पतिवार को दिया। टीवी समाचार निदेशक के सहयोगियों और वकील ने यह जानकारी दी। देश के लोकप्रिय निजी चैनल 'एआरवाई टेलीविजन’ के एक वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी अम्माद यूसुफ की रिहाई से एक दिन पहले पुलिस ने उनके मकान पर छापा मारा था और उन्हें गिरफ्तार किया था। यूसुफ पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान नीत

विपक्षी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के चीफ ऑफ स्टाफ शहबाज गिल के साथ सेना विरोधी साक्षात्कार प्रसारित करने का आरोप लगाया गया था। क्रिकेट से राजनीति में आए खान को अप्रैल में संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाकर अपदस्थ कर दिया गया था। पाकिस्तान की मीडिया नियामक संस्था ने भी टीवी स्टेशन को बंद कर दिया। 'एआरवाई’ के मुताबिक, रिहाई के बाद यूसुफ ने उन सभी का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ आवाज उठाई थी। हालांकि, बृहस्पतिवार देर रात तक 'एआरवाई’ का प्रसारण बंद था। सोमवार को प्रसारित विवादास्पद साक्षात्कार में गिल ने पाकिस्तानी सैनिकों और अधिकारियों से सेना के ''अवैध आदेशों’’ का पालन करने से इनकार करने का आग्रह किया था। इस टिप्पणी को प्रशासन ने विद्रोह के लिए उकसावे वाले बयान के रूप में देखा था।

इसके बाद गिल को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया, जिसके लिए उन्हें मौत की सजा का सामना करना पड़ सकता था। इससे पहले बृहस्पतिवार को 'रिपोर्टसã विदाउट बॉर्डर’ ने यूसुफ की गिरफ्तारी और टेलीविजन चैनल को बंद किए जाने की निदा की और पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना पर इसकी साजिश रचने का आरोप लगाया। समूह के एशिया-प्रशंत डेस्क के प्रमुख डेनियल बस्टर्ड ने कहा, ''सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को नियंत्रित किया जाता है और बार-बार उनका उत्पीड़न होता है।’’ 'एआरवाई’ हालांकि ने गिल की टिप्पणी से खुद को दूर करते हुए कहा कि वह सेना के खिलाफ किसी अभियान का हिस्सा नहीं है। खान 2018 में पाकिस्तान में परिवार के शासन के चलन को तोड़ने के वादे के साथ सत्ता में आए थे, लेकिन उनके विरोधियों का कहना था कि उन्हें सेना की मदद से चुना गया था, जिसने अपने 75 साल के इतिहास में आधे से अधिक समय तक देश पर शासन किया है। 



 

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