United Nations ने रूस से यूक्रेन में 'अवैध कब्जे’ के लिए उठाए गए कदम वापस लेने की मांग की

Samachar Jagat | Thursday, 13 Oct 2022 10:16:16 AM
UN urges Russia to withdraw steps taken for 'illegal occupation' of Ukraine

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यूक्रेन के चार क्षेत्रों में रूस के ''अवैध कब्जे के प्रयास’’ की निदा करने और इन कदमों को तत्काल वापस लिए जाने की मांग के पक्ष में अभूतपूर्व मतदान किया। इस मतदान के जरिये दुनियाभर के देशों ने सात महीने से जारी युद्ध और रूस की अपने पड़ोसी देश के क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश पर कड़ा विरोध जताया है। संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों में से 143 ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। वहीं, पांच देशों ने इसके विरोध में मत दिया, जबकि भारत समेत 35 देश मतदान में अनुपस्थित रहे।

यह प्रस्ताव रूसी बलों द्बारा 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से यूक्रेन को दिया गया अब तक का सबसे बड़ा समर्थन और रूस के प्रति सबसे कड़ा विरोध है। संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के राजदूत सर्गीय किस्लित्स्या ने इस मतदान को ''अद्भुत’’ और ''ऐतिहासिक क्षण’’ बताया। वहीं, अमेरिकी राजदूत लिडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने इसे ''एक यादगार दिन’’ करार दिया। यूरोपीय संघ के राजदूत ओलाफ स्कूग ने प्रस्ताव को ''एक ऐसी बड़ी सफलता’’ बताया, जो ''रूस को एक कड़ा संदेश भेजती है कि वह अलग-थलग है और रहेगा।’’

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक बयान जारी कर कहा कि इस मतदान ने यह दिखाया है कि दुनिया ''रूस को उसके उल्लंघनकारी कदमों के लिए जवाबदेह बनाने के वास्ते अब पहले से अधिक एकजुट और प्रतिबद्ध है।’’ उन्होंने कहा कि यह ''स्पष्ट संदेश है’’ कि ''रूस एक संप्रभु देश को दुनिया के नक्शे से मिटा नहीं सकता’’ और वह ''बल प्रयोग से सीमाएं नहीं बदल सकता।’’ यूक्रेन के दोनेत्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और जापोरिज्जिया क्षेत्रों पर पिछले महीने कब्जा करने की रूस की घोषणा के जवाब में पश्चिमी देशों द्बारा प्रयोजित यह प्रस्ताव पेश किया गया था। रूसी संसद के दोनों सदनों ने दोनेत्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और जापोरिज्जिया क्षेत्रों को रूस का हिस्सा बनाने से जुड़ी संधियों को मंजूरी दी थी।

चारों प्रांतों में कथित जनमत संग्रह के बाद इस संधि पर मुहर लगा दी गई थी। इस जनमत संग्रह को यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने अवैध बताकर खारिज किया है। यूक्रेन पर आपातकालीन विशेष सत्र में वक्ताओं ने दो दिन तक अपना-अपना पक्ष रखा। इस दौरान रूस पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अहम सिद्धांतों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया, जिसमें सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का सिद्धांत भी शामिल है। कुल 143 देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि रूस, बेलारूस, उत्तर कोरिया, सीरिया और निकारागुआ ने इसके खिलाफ मतदान किया।

वहीं, 19 अफ्रीकी देशों, दुनिया के सर्वाधिक आबादी वाले दो देशों चीन और भारत तथा पाकिस्तान एवं क्यूबा समेत 35 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। महासभा से अधिक शक्तिशाली सुरक्षा परिषद रूस के वीटो अधिकार के कारण यूक्रेन के मामले में उसके खिलाफ कोई कदम नहीं उठा पाई है। परिषद के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी होते हैं, जबकि महासभा यूक्रेन पर युद्ध की निदा करने वाले चार प्रस्ताव पारित कर चुकी है। हालांकि, महासभा में मतदान विश्व की राय को दर्शाता है, लेकिन यह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है। 



 

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