United Nations : जैश-ए-मोहम्मद एवं लश्कर के अफगानिस्तान में प्रशिक्षण शिविर

Samachar Jagat | Monday, 30 May 2022 02:19:31 PM
United Nations : Jaish-e-Mohammed and Lashkar's training camps in Afghanistan

संयुक्त राष्ट्र |  मुंबई में 26 नवंबर, 2००8 को हुए आतंकवादी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता हाफिज सईद के नेतृत्व वाले लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के अफगानिस्तान के कुछ प्रांतों में प्रशिक्षण शिविर हैं और इनमें से कुछ पर तालिबान का सीधा नियंत्रण है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। 'विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी दल’ की 13वीं रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र के एक सदस्य देश के हवाले से कहा गया है कि वैचारिक रूप से तालिबान के करीबी देवबंदी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ''नंगरहार में आठ प्रशिक्षण शिविर हैं, जिनमें से तीन पर तालिबान का सीधा नियंत्रण है।’’

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने तालिबान प्रतिबंध समिति के अध्यक्ष के तौर पर ''सुरक्षा परिषद के सदस्यों के संज्ञान में लाने के लिए रिपोर्ट पेश की और परिषद का दस्तावेज जारी किया।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि मसूर अजहर के नेतृत्व वाला जैश-ए-मोहम्मद वैचारिक रूप से तालिबान का करीबी है। कारी रमजान अफगानिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद का नवनियुक्त प्रमुख है।

इसमें कहा गया है कि निगरानी दल की पिछली रिपोर्ट में लश्कर-ए-तैयबा को तालिबान को वित्तीय मदद देने और प्रशिक्षण विशेषज्ञता प्रदान करने वाला बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ''एक सदस्य देश के अनुसार, अफगानिस्तान में मौलवी यूसुफ इसका नेतृत्व कर रहा है।’’ एक अन्य सदस्य देश के अनुसार, अक्टूबर 2021 में एक अन्य लश्कर नेता मौलवी असदुल्लाह ने तालिबानी उप गृह मंत्री नूर जलील से मुलाकात की थी।

रिपोर्ट के अनुसार, एक अन्य सदस्य देश ने कहा कि इस क्षेत्र में प्रभावी सुरक्षा कदम उठाए जाने के कारण जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा की मौजूदगी का कोई सबूत नहीं है। तालिबान के 15 अगस्त को अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद यह तालिबान प्रतिबंध समिति के 'विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी दल’ की पहली रिपोर्ट है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने तब से अप्रैल 2022 तक अफगानिस्तान पर अपना नियंत्रण मजबूत किया है,

संयुक्त राष्ट्र द्बारा प्रतिबंधित 41 व्यक्तियों को कैबिनेट और अन्य वरिष्ठ पदों पर नियुक्त किया है तथा उसने योग्यता से अधिक वरीयता निष्ठा और वरिष्ठता को दी। इसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान में सबसे अधिक विदेशी आतंकवादी 'तहरीक-ए तालिबानपाकिस्तान’ (टीटीपी) के हैं, जिनकी संख्या कई हजार होने का अनुमान है। अन्य समूहों में 'ईस्टन तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट’, 'इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान, जैश-ए-मोहम्मद, जमात अंसारुल्लाह और लश्कर-ए-तैयबा शामिल हैं, जिनके सैकड़ों आतंकवादी वहां हैं। 



 

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