देव दीपावली का पर्व कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जिसे 'देवताओं की दीपावली' कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था।
यह त्योहार दिवाली के 15 दिन बाद और देव उठानी एकादशी के चार दिन बाद मनाया जाता है, और यह सोमवार, 7 नवंबर को मनाया जाएगा। यह शुभ त्योहार वाराणसी शहर में मनाया जाता है।
तो आइए जानते हैं कब मनाई जा रही है देव दीपावली। इस पूजा का शुभ मुहूर्त कब है? और संस्कार क्या होगा?
देव दीपावली क्यों मनाई जाती है?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार त्रिपुरासुर राक्षस के अत्याचार के कारण सभी देवताओं ने भगवान शिव से इस राक्षस से छुटकारा पाने की प्रार्थना की थी। तब भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था।
इसी के चलते सभी हर्षित देवी-देवताओं ने भगवान शिव की नगरी काशी यानी वाराणसी में पर्व मनाया और दीपदान किया। तभी से हर साल कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है।
देव दीपावली 2022: तिथि और समय :
देव दीपावली 2022: सोमवार, 7 नवंबर, 2022
प्रदोषकाल देव दीपावली मुहूर्त: शाम 05:14 बजे से शाम 07:49 बजे तक
अवधि: 02 घंटे 35 मिनट
पूर्णिमा तिथि शुरू: 07 नवंबर, 2022 को शाम 04.15 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 08 नवंबर, 2022 को शाम 04.31 बजे
देव दीपावली पूजा विधि 2022
इस पर्व पर ब्रह्म मुहूर्त में गंगा नदी में डुबकी लगानी चाहिए या घर में गंगा जल डालकर स्नान करना चाहिए। मान्यता है कि गंगा स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। स्नान के बाद भगवान शिव, विष्णु और अन्य देवताओं की पूजा करें, फिर शाम को किसी नदी के तट पर जाकर दीपक का दान करना चाहिए।
आप किसी मंदिर में जाकर दीपक का दान भी कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपने घर के पूजा स्थल पर भी दीपक जला सकते हैं। भगवान गणेश, शिव और भगवान विष्णु की उचित तरीके से पूजा करें। शाम के समय फिर से भगवान शिव की पूजा की जाती है। शिव को फूल, घी, नैवेद्य और बेलपत्र चढ़ाएं।