देव उठनी एकादशी हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण अवसरों में से एक माना जाता है। कार्तिक मास की एकादशी के दिन भगवान विष्णु नींद जागते हैं। देव उठनी एकादशी आज मनाया जा रहा है - खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु ने तुलसी से विवाह किया, एक पौधा जिसे `वृंदा` नाम की एक महिला का अवतार कहा जाता है। इस प्रकार, विवाह की रस्म जिसे तुलसी विवाह के रूप में जाना जाता है।
रसम रिवाज
आज के दिन लोग व्हाइट या येलो कलर के कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। वे देवता को फल और मीठे फूल चढ़ाते हैं। कई लोग पवित्र स्नान भी करते हैं और साथ ही मंत्रों का जाप भी करते हैं। कुछ लोग देवउठनी एकादशी का व्रत भी रखना पसंद करते हैं। देव उठानी एकादशी का व्रत एकादशी से एक दिन पहले दशमी के दिन शुरू होता है, जो पारण मुहूर्त के बाद द्वादशी तक चलता है।
देवउठनी एकादशी 2022: मुहूर्त
देवउठनी एकादशी का दिन 3 नवंबर, 2022 को शाम 07:30 बजे शुरू होगा। यह 4 नवंबर 2022 को शाम 6:08 बजे को समाप्त होगा। लोग आज देव उठानी एकादशी का व्रत कर रहे है ।
देव उठानी एकादशी व्रत पारण समय - प्रातः 06.39 - प्रातः 08.52 (5 नवम्बर 2022)
देव उठानी एकादशी: पूजा विधि
देव उठानी एकादशी के दिन रात्रि में शुभ मुहूर्त में श्रीहरि की पूजा की जाती है। चूने और गेरू से रंगोली बनाई जाती है और गन्ने के मंडप बनाए जाते हैं। लोग भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप की पूजा करते हैं। शालिग्राम को नए कपड़े और जनेऊ धागे की पेशकश की जाती है और श्रीहरि को मंत्र "उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये, त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्॥“का पाठ करके जगाया जाता है।