हरतालिका तीज, मुख्य रूप से एक महिला त्योहार, भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि के दौरान आती है और पूरे देश में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार को हरियाली तीज और कजरी तीज की तरह मनाया जाता हैं, पूर्वी यूपी, बिहार, झारखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्यों में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव, मां पार्वती और भगवान गणेश की मूर्तियों को रेत या मिट्टी से तैयार किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। विवाहित और अविवाहित दोनों महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करने और अपनी पसंद का जीवनसाथी पाने के लिए 'निर्जला' व्रत भी रखा जाता है।
हरतालिका तीज की तिथि
हरतालिका तीज इस साल 30 अगस्त को मनाई जाएगी। प्रात:काल हरतालिका पूजा मुहूर्त सुबह 5:58 बजे से 8:29 बजे तक होगा। तृतीया तिथि 29 अगस्त, 2022 को दोपहर 3:20 बजे शुरू होती है और 30 अगस्त, 2022 को दोपहर 3:33 बजे समाप्त होती है।
हरतालिका तीज का इतिहास और महत्व
हरतालिका दो शब्दों से मिलकर बनी है - 'हरत' का अर्थ अपहरण और 'अलिका' का अर्थ है महिला मित्र। किंवदंती है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए गंगा नदी के तट पर घोर तपस्या की थी। पार्वती के पिता हिमालय ने उन्हें इस हालत में देखकर उनका विवाह भगवान विष्णु से करने का फैसला किया। जब देवी पार्वती ने अपनी सहेली के साथ अपना दुख साझा किया, तो उन्होंने उनकीं मदद करने का फैसला किया और उनका अपहरण कर लिया। वह उन्हें एक घने जंगल में ले गई जहाँ माँ पार्वती ने अपनी साधना जारी रखी और अंततः भगवान शिव ने देवी की भक्ति पर ध्यान दिया और उनसे शादी करने के लिए तैयार हो गए। उस समय से, महिलाओं द्वारा अपनी पसंद का पति पाने के लिए हरतालिका तीज मनाई जाती है।
हरतालिका तीज का जश्न
निर्जला व्रत विवाहित और अविवाहित महिलाओं द्वारा लगभग 24 घंटे तक मनाया जाता है, जिसके दौरान वे बिना भोजन और पानी के रहती हैं। इस दिन भगवान शिव, मां पार्वती और भगवान गणेश की पूजा की जाती है।मीठे और नमकीन दोनों तरह के व्यंजन जैसे बेड़मी पूरी, रसीला आलू, दाल बाटी, बेसन कढ़ी, मालपुआ, घेवर, खीर, ठेकुआ और गुजिया सहित कई पकवान बनाए जाते है। यह वह दिन है जब विवाहित महिलाओं को अपने मायके और ससुराल से कपड़े, आभूषण, सौंदर्य प्रसाधन और अन्य चीजें उपहार में मिलती हैं। महिलाएं अपने हाथों पर सुंदर मेहंदी लगाती हैं और त्योहार मनाने के लिए विशेष रूप से हरे और लाल रंग के पारंपरिक कपड़े पहनती हैं। देश के कई हिस्सों में, महिलाएं लोक गीत गाती हैं। तीज पूजा आमतौर पर एक समूह में की जाती है और व्रत अगले दिन सुबह समाप्त होता है।