शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होंगा जिसने सिरदर्द का कभी अनुभव न किया हो। आज की भागदौड़ की जीवनशैली, तनाव और मिथ्याहार के कारण सिरदर्द होना आम बात हो गयी हैं। ज्यादातर मौके पर सिरदर्द यह एक आम लक्षण होता हैं और सामान्य दर्दनाशक दवा लेने पर तुरंत आराम मिल जाता हैं। कभी अम्लपित्त की वजह से, अधूरी नींद के कारण, तनाव, दांत में दर्द, आँखों की समस्या या वातावरण में बदलाव के कारण भी सामान्य सिरदर्द हो सकता हैं।
सिरदर्द के कुछ मुख्य प्रकार भी हैं जिनकी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :
अर्धकपारी : सिर के किसी एक हिस्से में बेहद ज्यादा दर्द होता हैं। यह दर्द कुछ घंटो से लेकर कुछ दिनों तक भी रह सकता हैं। Migraine में सिरदर्द के अलावा जी मचलाना, उलटी होना, धुंधला दिखाई देना, कमजोरी, आवाज या रौशनी के प्रति असंवेदनशीलता इत्यादि लक्षण दिखाई देते हैं।
Migraine के कारण, लक्षण और उपचार संबंधी
तनाव सिरदर्द : अत्यधिक तनाव और चिंता के कारण यह सिरदर्द होता हैं। यह सिरदर्द दोनों कनपटियो में ज्यादा रहता हैं। इसमें थोडा-थोडा सिरदर्द लम्बे समय तक होता हैं। भारतीय कामकाजी व्यक्तिओ में यह सामान्य तौर पर पाया जाता हैं। ज्यादातर मामलो में यह बिना दवा लिए कुछ देर आराम करने से ठीक हो जाता हैं।
साइनस सिरदर्द : हमारे चेहरे की हड्डियों में माथा, नाक और गाल के पास के बिच के कुछ जगह खाली होती है जिसे Sinus कहते हैं। ठंडा पानी पिने से या ठन्डे मौसम में इसमें कफ जम जाता है और इस कफ में संक्रमण होने पर Sinusitis हो सकता हैं। इसमें आँखों में, सिर के अगले हिस्से में या नाक के आस-पास गाल के हिस्से में तेज दर्द, सुजन और बुखार जैसे लक्षण नजर आते हैं। निचे की ओर देखने पर यह दर्द बेहद ज्यादा बढ़ जाता हैं।
इसके अलावा सिरदर्द कई अन्य कारणों से भी हो सकता हैं।
सिरदर्द से बचने के लिए निम्नलिखित एहतियात बरतने चाहिए :
तनाव कम करे। तनावरहित जीवन जीने के लिए योग और ध्यान करे।
तनाव, चिंता या क्रोध जैसी भावनाओ को दबाने से सिरदर्द हो सकता हैं। ऐसी परेशानी होने पर हमें शांति से अपने परिचित और विश्वस्त लोगो के साथ बांटना चाहिए।
संतुलित आहार लेना चाहिए। ज्यादा समय तक भूखे पेट नहीं रहना चाहिए।
पानी की कमी भी सिरदर्द की एक वजह हैं। इसलिए दिनभर में कम से कम 7 से 8 ग्लास पानी अवश्य लेना चाहिए।
रोजाना एक समय पर सोने और उठने की आदत डाले। कम से कम 6 घंटे की अच्छी नींद अवश्य लेना चाहिए।
लम्बे समय तक नियमित कार्य करने की जगह बिच-बिच में थोडा समय निकालकर खुली स्वच्छ जगहपर टहलने से तनाव नहीं आता हैं।
नियमित सिरदर्द की परेशानी होने पर अपने आँखों की जांच जरुर कराना चाहिए। अगर आपको चश्मे का नंबर हैं तो साल में एकबार नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए।
अगर आपको अम्लपित्त की शिकायत है तो तला हुआ, तीखा, मसालेदार और जंकफ़ूड आहार का त्याग करे। अधिक मात्रा में अम्लपित्त के कारण पेट में दर्द, जलन, जी मचलाना और सिरदर्द यह तकलीफ हो सकती हैं।
ज्यादा समय तक कंप्यूटर या मोबाइल पर काम करने या गेम्स न खेले।
हमेशा सकारात्मक सोच रखे और सकारात्मक लोगो के साथ रहे।
किसी भी प्रकार का नशा न करे। शराब, तंबाखू, गुटखा, सिगरेट, बीडी इत्यादि नशे से दूर रहे।
सिरदर्द यह एक आम समस्या है पर यह किसी रोग का संकेत भी हो सकता हैं। अगर आपको बार-बार सिरदर्द होता हैं तो घर पर अपने मन से कोई दर्दनाशक दवा लेने से बेहतर हैं की आप एक बार अपने परिचित डॉक्टर से अपनी जांच करा ले। कई बार सिरदर्द यह किसी बड़ी बीमारी का प्रथम लक्षण भी हो सकता है जिसे समय पर उपचार लेकर ठीक किया जा सकता हैं।