जयपुर। गोमतेश्वर मंदरि कर्नाटक के हासन जलिे के श्रवणबेलगोला में स्थति भारत के सबसे प्राचीन मंदरि जैन मंदरिों में से एक है। इतहिास कारों के अनुसार इस मंदरि का नर्मिाण 982 या 983 ईसवी के दौरान कयिा गया था। यह देवास्थान कर्नाटक राज्य के मैसूर राज्य में वद्यिा गरिी की पहाड़ी पर स्थति है। कहा जाता है कि इस स्थल का नर्मिाण गंग वंश के राजा राजमल एवं उनके सेनापति चामुंदाराय ने बनवाया था। यहां यात्रयिों को कन्नड़ भाषा में लेख दखिाई देते हैं। कहा जाता है कि जैन धर्म में यह स्थल बहुत ही पवत्रि माना गया है। क्यों कि वहां बाहुबली का स्तंभ है। बाहुबली मोक्ष प्राप्त करने इस मंदरि को श्रवणबेलगोला मंदरि या बाहुबली मंदरि के नाम से भी जाना जाता है। मंदरि में प्रमुख देवता प्रथम जैन तीर्थंकर की 17 मीटर ऊंची मूर्ति स्थापति है जो कि दुनयिा की सबसे बड़ी अखंड मूर्ती है। इस मूर्ति के अलावा तकरीबन 43 प्रतमिाएं बनी हुई हैं। इन सब के अलावा यहां पर भग्रवान बाहुबली की अनेक मूद्रा प्रदर्शति कयिा गया है। इस प्रतमिा को कमल पर स्थापति कयिा हुआ दर्शाया गया है। अनूठी शल्पि कला से युक्त गोमतेश्वर मंदरि,दसवीं शताब्दी में बनाया गया था। तभी से वहां हजारों भक्त बहुत ही श्रद्धा भाव से भगवान के दर्शन करने आते हैं। इसके अलावा हर बारह वर्ष में वहां आयोजति होने वाले महामस्ताभष्ोिक में इस पवत्रि मूर्ति को दूध, केसर, घी और दही आदि से विभिषेक कराया जाता है। यह दृश्य इस कदर अनूठा बन जाता है कि इसमें दुनयिाभर के लोग शामलि होते हैं।
मंदरि के सूत्रों के अनुसार बाहुबली के अलावा बेहद सुंदर जैन तीर्थंकरों का स्थान बनाया गया है। गुप्तेश्वर मंदरि में समय- समय पर अनेक समारोहों का आयोजन कयिा जाता रहा है। मंदरि के खुलने व बंद होने का समय भक्तजनों के लएि नर्धिारति कयिा गया है, जसिके अनुसार यह देवालय सुबह 6.०० बजे से लेकर 11.3० बजे तक खूला रहता है। इसके बाद 3.3० से सायं 6.3० बजे तक खुला रहता है।
कर्नाटक के इस मंदरि में बाहुबली जी के दर्शन के लएि वायु, ट्रेन या सड़क मार्ग के द्बारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। मंदरि में का ाफी दूर के शहरों से आने वाल मंदरि के सबसे नकिट एयरपोर्ट पड़ता है। इसके अलावा रेल के रास्ते में सबसे नकिट हासन पड़ता है।