मसाला किंग के नाम से मशहूर एमडीएच के मालिक धर्मपाल गुलाटी की आज पहली पुण्यतिथि है। 3 दिसंबर 2020 को 98 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। धर्मपाल गुलाटी ने 3 दिसंबर को सुबह 6 बजे दिल्ली के माता चंदन देवी अस्पताल में अंतिम सांस ली। धर्मपाल गुलाटी ने एक बार एक छोटी सी दुकान से मसाले का व्यवसाय शुरू किया था, जिसे उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से एक बड़ा ब्रांड बना लिया था।
धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 को अविभाजित भारत के सियालकोट (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। 1933 में 5वीं कक्षा तक पढ़ने के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और 1937 में अपने पिता की मदद करते हुए एक छोटा सा व्यवसाय शुरू किया। इसी बीच उसने साबुन का कारोबार किया और नौकरी भी कर ली। इस काल में वस्त्र, चावल आदि का भी व्यापार होता था, परन्तु कोई व्यवसाय जमा नहीं होता था। फिर उन्होंने अपना पारिवारिक व्यवसाय मसाला रस शुरू किया। महाशियां दी हट्टी (एमडीएच) देश का एक बड़ा मसाला ब्रांड है। वह एक मसाला निर्माता, वितरक और निर्यातक भी हैं। एमडीएच की शुरुआत 1919 में महाशय चुन्नी लाल ने सियालकोट (पाकिस्तान) में की थी। फिर वह मसाले की एक छोटी सी दुकान चलाता था। कुछ ही समय में वह बहुत प्रसिद्ध हो गए और वहां के लोग 'देगी मिर्च वाला' के नाम से जाने जाने लगे।
जब देश का बंटवारा हुआ तो वे भारत लौट आए और 27 सितंबर 1947 को दिल्ली पहुंचे। उन दिनों उनकी जेब में सिर्फ 1500 रुपये थे। इस पैसे से उसने रुपये में एक तांगा खरीदा। 650. जिसे वह नई दिल्ली स्टेशन से कुतुब रोड और उसके आसपास तक चलाते थे। लेकिन उनका फैमिली बिजनेस शुरू करने का जुनून खत्म नहीं हुआ था। उसने अपने पिता के व्यवसाय को आगे बढ़ाने की सोची। उन्होंने व्यवसाय शुरू करने के लिए लकड़ी के छोटे-छोटे बक्से खरीदकर इसकी शुरुआत की। बाद में उन्होंने करोल बाग में अजमल खान रोड पर सियालकोट की 'महाशियां दी हट्टी' नाम से एक दुकान शुरू की। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज महाशियां दी हट्टी (एमडीएच) देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी एक बड़ा मसाला ब्रांड है।