रसोई की जगह, समय, भाव और सामग्री से जुड़ी कुछ खास बातों पर ध्यान देकर हम अपनी सेहत में बड़े बदलाव ला सकते हैं। कैसे? बता रही हैं ज्योति द्विवेदी समय के साथ हमारा चौका धीरे-धीरे किचन बनता गया। कुछ समय तक ठीक रहा, पर धीरे-धीरे स्वास्थ्य गिरना शुरू हो गया। चौका चेतना नामक अभियान के जनक नेचरोपैथी के डॉ राजेश मिश्र ने सेहत को ठीक रखने के लिए चार तरह की चीजों पर जोर दिया है। ये हैं...
जगह की शुद्धि
एक हालिया शोध के मुताबिक कई लोगों की रसोई टॉयलेट से भी गंदी होती है। बर्तन साफ करने वाले स्पॉन्ज और किचन टॉवेल को बहुत कम लोग नियमित रूप से साफ करते हैं। इनमें टॉयलेट सीट से भी ज्यादा बैक्टीरिया पाए जाते हैं।
क्या करें
* कटिंग बोर्ड, खाना बनाने के उपकरण, फ्रिज, डस्टबिन, बर्तन साफ करने वाले कपड़े की नियमित सफाई करें।
*रसोई के लिए अलग चप्पल बना लें।
*बर्तनों में डिटर्जेंट का अंश न छोड़ें।
*फल-सब्जियों को अच्छी तरह धोकर इस्तेमाल करें।
सामग्री
हम क्या खाएं, जो खा रहे हैं उसे खाने से पहले कैसे साफ करें, उसे किस तरह पकाएं, ये सभी बातें ध्यान में रखनी जरूरी हैं। विदेशों से आए फल-सब्जियां दुकानों पर कई दिन तक रखे हुए होते हैं। इसके बाद हम उन्हें अपने फ्रिज में कई दिनों तक रखते हैं। ‘रेडी टू ईट’ फूड उत्पादों में खाद्य पदार्थों को सुखा कर उनमें रासायनिक प्रिजर्वेटिव्स मिला कर स्टोर में कई महीनों तक रखा जाता है। इस तरह की चीजों से बचें।
*घर में ही किचन गार्डन बना सकते हैं।
*खाने की सभी चीजों को प्राकृतिक रूप में या फिर कम से कम बदलाव के साथ खाएं। जैसे, भूसी निकाला हुआ सामान्य चावल पॉलिश किए चावल की तुलना में ज्यादा फायदेमंद है।
*सलाद बनाते समय एक स्वाद के फलों को एक साथ खाएं। खट्टे-मीठे फल एक साथ खाने पर पाचन क्रिया गड़बड़ा जाती है।
*नरम छिलके वाले आलू, लौकी, तोरी और सीताफल जैसी सब्जियों के छिलके की ऊपरी परत को हल्का सा उतारें।
*चोकरवाला आटा और हरी पत्तेदार सब्जियां भरपूर मात्रा में खाएं। अलग से फाइबर की जरूरत नहीं पड़ेगी।
*ठंडा, गरम, नमकीन आदि विपरीत प्रकृति वाली चीजों को एक साथ न खाएं।
*ताजे व मौसमी फल व सब्जियां खाएं। चीजों को सामान्य तापमान पर ही खाएं।
समय की शुद्धि
हमारे शरीर का हर अंग, फिर चाहे वह लिवर हो या आंतें, एक विशेष क्लॉक के अनुरूप काम करते हैं। हमारे शरीर के रूटीन के हिसाब से ही वे ढल जाते हैं और दिन के किसी खास वक्त पर सबसे ज्यादा गतिशील होते हैं। आप अपने शरीर की मांग के हिसाब से दिन में तीन या चार बार खाना खा सकते हैं। नाइट शिफ्ट वालों को खास तौर पर समय को लेकर सचेत रहने की जरूरत है।
क्या करें
*सुबह आठ बजे तक नाश्ता करें। फल, दूध, अंकुरित अनाज, दलिया आदि लें।
*इसके 4-5 घंटे बाद दोपहर का भोजन करें। इस पहर में वायुमंडल गर्म होता है और शरीर की पाचन क्षमता अच्छी होती है, इसलिए इस वक्त संपूर्ण आहार ले सकते हैं। उसमें दाल, रोटी, मट्ठा/ दही, सलाद, घी आदि शामिल करें।
*शाम के वक्त रस्क, सब्जियों का सूप, या तुलसी, अदरक, काली मिर्च आदि से बनी हर्बल चाय ले सकते हैं।
*रात का खाना गरिष्ठ नहीं होना चाहिए।
*रात की शिफ्ट में काम करने वालों को नींद का ध्यान रखना चाहिए। रात 9-10 बजे तक खाना खा लें या शाम को 5-6 बजे खाना खाकर ऑफिस जाना चाहिए।
भाव की शुद्धि
खाना बनाते, परोसते और खाते समय आपके मन में क्या भाव है, यह बात सीधे-सीधे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
*अगर किसी वजह से आपका मूड खराब हो तो पहले अपना मूड सही करना चाहिए, उसके बाद खाना खाना चाहिए।
*खाना खाते समय कोई और काम नहीं करना चाहिए। न टीवी, न कंप्यूटर, न किसी से बातें।
*खाने का कौर मुंह में डालने के बाद उसके स्वाद का अनुभव करें। उसे अच्छी तरह चबाने के बाद ही निगलें।
*अगर कुछ पी रहे हैं तो घूंट लेकर उसे कुछ देर मुंह में रखें, उसके स्वाद का अनुभव करें, फिर उसे निगलें।
*खाना तभी खाएं, जब भूख लगी हो। बिना भूख खाने की इच्छा तनाव की वजह से होती है। ऐसे में अतिरिक्ति न खाएं।