krishna janmashtami : भगवान कृष्ण को है प्रिय है ये चीजे, देखे क्लिक कर

Samachar Jagat | Wednesday, 17 Aug 2022 02:37:22 PM
krishna janmashtami : Lord Krishna loves these things, click to see

भगवान कृष्ण का पूरा जीवन मानव समाज को दिशा देता है। उनसे जुड़ी हर राशि या चिन्ह का विशेष महत्व होता है। उन्होंने जो कुछ भी किया उसके पीछे कोई न कोई उद्देश्य था और इसलिए वह मानव जीवन के हर पहलू से जुड़ा हुआ है। और यही कारण है कि 'सनातन संस्कृति' का पालन करने वाला हर घर में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। जन्माष्टमी के अवसर पर, आइए भगवान कृष्ण के कुछ प्रतीकों और उनके महत्व पर एक नजर डालते हैं। जन्माष्टमी कृष्ण भक्तों द्वारा दुनिया भर में मनाई जाती है।  इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 19 अगस्त को मनाई जाएगी।

 बांसुरी
भगवान कृष्ण को बांसुरी बहुत प्रिय हैं।  इसलिए उनका एक लोकप्रिय नाम 'मुरलीधर' है। बांसुरी एक मधुर वाद्य है। यह संदेश देता है कि हमारा जीवन भी बांसुरी की तरह मधुर होना चाहिए। परिस्थिति कैसी भी हो हमें हमेशा खुश रहना चाहिए और खुशियां भी फैलाने का प्रयास करना चाहिए।

मोर पंख

मोर पंख भी श्री कृष्ण के पसंदीदा में से एक है। यह तथ्य कि उन्होंने इसे अपने मुकुट पर पहना हैं , उनके जीवन में इसके महत्व को स्थापित करने के लिए पर्याप्त है। धार्मिक ग्रंथों में भी मोर पंख का महत्व है। यह जीवन में परेशानियों को कम करता है और सुख, शांति और समृद्धि लाता है।

माखन मिश्री

कृष्ण को माखन पसंद हैं और उन्हें 'माखन चोर' नाम से जाना जाता है क्योंकि वह 'गोपियों' से माखन चुराते थे। उन्हें माखन मिश्री  भी पसंद  हैं । जब माखन और मिश्री को मिलाया जाता है, तो वे एक मीठा स्वाद देते हैं। हमारा जीवन भी माखन मिश्री की तरह मिलजुल कर मधुरता प्रदान करे।
कमल फूल
शास्त्रों के अनुसार कमल के फूल को अत्यंत शुद्ध और शुभ  माना गया है। कीचड़ में उगने के बाद भी यह अपनी सुंदरता, कोमलता और शुद्धता नहीं खोता है। यह हमें सरल और सुंदर ढंग से जीने की सीख देता है।

वैजंती माला

श्री कृष्ण वैजंती माला पहनते हैं। यह माला कमल के बीज से तैयार की जाती है और ये बीज बहुत सख्त होते हैं। वैजंती माला हमें संदेश देती है कि हमारे जीवन में चाहे कितनी भी मुसीबतें क्यों न हों, अपने फैसले समझदारी से लें और कठिन परिस्थितियों को संभालें।


 गाय सनातन संस्कृति में गाय को सबसे शुद्ध प्राणी माना जाता है। 'पंचगव्य' अर्थात गाय का दूध, गाय का दही, गोमूत्र, गाय का घी, गाय का गोबर शास्त्रों में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। 'गौसेवा' दुखों का नाश करती है और समृद्धि देती है।



 

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