औरंगाबाद। महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के प्रमुख स्मारकों पर सैलानियों की संख्या में इस साल काफी कमी आई है क्योंकि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर कुछ महीनों के लिए पर्यटन स्थल बंद रहे और पर्यटन उद्योग पर निर्भर गाइड के साथ-साथ अन्य लोगों को रोजीरोटी से संबंधित मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है।
औरंगाबाद को 'महाराष्ट्र की पर्यटन राजधानी’ के रूप में भी जाना जाता है, जहां विश्व प्रसिद्ध अजंता और एलोरा की गुफाएं, बीबी-का-मकबरा, दौलताबाद (देवगिरि) किला और औरंगाबाद गुफा सहित पर्यटकों के लिए आकर्षण के कई केंद्र हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के आंकड़ों के अनुसार, उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले इन पांच स्थलों पर घरेलू पर्यटकों की संख्या इस साल 21 मार्च से 21 नवंबर तक घटकर 5.94 लाख रह गई, जबकि 20 19-20 (महामारी पूर्व की अवधि) में यह 19.77 लाख और 20 18-19 में 23 लाख थी। कोविड-19 के मद्देनजर लगे लॉकडाउन के कारण 2०2०-21 में स्मारक बंद रहे।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस साल 21 नवंबर तक केवल 745 विदेशी पर्यटकों ने इन पांच स्मारकों का दौरा किया, जबकि 2019-20 में यह आंकड़ा 40 ,000 से अधिक था।
एएसआई, औरंगाबाद के अधीक्षक मिलन कुमार चौले ने पीटीआई-भाषा को बताया, ''महामारी ने हमें अपने स्मारकों में पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगाना सिखाया। लोगों ने ऑनलाइन टिकट लेना सीखा और उनमें से कई ने अब इसे एक नियमित अभ्यास के रूप में अपना लिया है।’’
उन्होंने कहा कि पहले जहां पर्यटकों के प्रबंधन का कार्यभार बहुत अधिक श्रमशक्ति लेता था, वहीं इस वर्ष एएसआई ने इन स्मारकों के रखरखाव के लिए कार्यबल का उपयोग किया। हालांकि, पर्यटन उद्योग पर आश्रित गाइड और अन्य लोगों को कठिन समय का सामना करना पड़ा।
'एलोरा गाइड्स वेलफ़ेयर एसोसिएशन’ के अध्यक्ष आमोद बसोले ने कहा कि इस साल ज्यादा विदेशी उड़ानें नहीं थीं और घरेलू पर्यटन के संबंध में नीति महामारी के मद्देनजर बदलती रही, जिससे उनके लिए काम कम हो गया।
उन्होंने कहा, ''हमारे जिले में लगभग 60 पंजीकृत गाइड हैं, लेकिन उनमें से आधे ने पेशा छोड़ दिया है। अगर व्यवसाय सामान्य हो जाता है तो यहां सभी गाइड की वापसी में कम से कम तीन साल लगेंगे।’’