Makar Sankranti 2023 : क्या होता है उत्तरायण और दक्षिणायन का मतलब ,क्या है इनका महत्व ,जानें

Samachar Jagat | Friday, 13 Jan 2023 02:38:27 PM
Makar Sankranti 2023 : What is the meaning of Uttarayan and Dakshinayan, what is their importance, know

मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी 2023 दिन रविवार को मनाया जाएगा। इसे उत्तरायण का पर्व भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन से उत्तरायण होने लगता है जबकि सूर्य मकर राशि में गोचर करता है।

उत्तरायण और दक्षिणायन क्या है?

सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो वक्री होता है। इसी प्रकार जब यह कर्क राशि में प्रवेश करता है तो दक्षिण दिशा में होता है। बहुत कम समय होता है जब सूर्य पूर्व में उदय होता है और दक्षिण से होकर पश्चिम में अस्त होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, उत्तरायण के समय सूर्य उत्तर की ओर झुकाव के साथ चलता है, जबकि दक्षिणायन के समय सूर्य दक्षिण की ओर झुकाव के साथ चलता है। इसलिए इसे उत्तरायण और दक्षिणायन कहते हैं।
 
उत्तरायण के समय दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं जबकि दक्षिणायन के समय रातें बड़ी और दिन छोटे होने लगते हैं। सूर्य 6 महीने उत्तरायण और 6 महीने दक्षिणायन रहता है।

उत्तरायण का महत्व:

1. देवताओं का दिन मकर संक्रांति से शुरू होता है, जो आषाढ़ मास तक रहता है। दक्षिणायन की अवधि को देवताओं की रात्रि माना जाता है। अर्थात देवताओं का एक दिन और एक रात मनुष्य का एक वर्ष होता है। मनुष्यों का एक मास पूर्वजों का एक दिन होता है। दक्षिणायन को नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।

2. उत्तरायण का महत्व बताते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में यह भी कहा है कि उत्तरायण के 6 मास के शुभ काल में जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं और पृथ्वी पर प्रकाश रहता है, तब इस प्रकाश में शरीर छोड़ने से मनुष्य की मृत्यु नहीं होती है। व्यक्ति का पुनर्जन्म, ऐसे लोग ब्रह्म को प्राप्त करते हैं। यही कारण था कि जब तक सूर्य उत्तरायण नहीं हो जाते तब तक भीष्म पितामह ने अपना शरीर नहीं छोड़ा।
 
3. उत्तरायण उत्सव का समय है और दक्षिणायन उपवासऔर ध्यान का समय है। उत्तरायण तीर्थ यात्रा और त्योहारों का समय है। उत्तरायण के 6 माह में गृहप्रवेश, यज्ञ, व्रत, कर्मकांड, विवाह, मुंडन आदि नव कार्य करना शुभ माना जाता है। दक्षिणायन में विवाह, मुंडन, उपनयन आदि विशेष शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इस दौरान व्रत रखना और किसी भी तरह की सात्विक या तांत्रिक साधना करना भी फलदायी होता है। इस दौरान सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

4 . ऋतुएँ क्या हैं उत्तरायण में तीन ऋतुएँ होती हैं- शीत, वसंत और ग्रीष्म। इस दौरान वर्षा, शरद और हेमंत तीन ऋतुएँ होती हैं।
 



 

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