शारदीय / शरद नवरात्रि, देवी दुर्गा को समर्पित एक शुभ हिंदू त्योहार 26 सितंबर को घटस्थापना के साथ शुरू होने वाला है और 5 अक्टूबर को विजय दशमी और दुर्गा विसर्जन के साथ समाप्त होगा। देवी दुर्गा जिन्हें देवी काली और देवी शक्ति के रूप में भी जाना जाता है। नारी शक्ति और मुक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। वेदों और अन्य पवित्र ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान मंत्रों का जाप महत्वपूर्ण है। ऐसा माना जाता है कि मंत्रों का जाप करने से एकाग्रता तेज होती है, जो आत्मा और बुद्धि से अशुद्धियों को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण है।
आज हम आपके लिए वो सभी मंत्रों लेकर आए है जिनका जाप आपको नवरात्रि के नौ दिनों तक करना चाहिए।
पहला दिन
दे वाद्द्रिछतलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम |
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् ||
दूसरा दिन
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
तीसरा दिन
पिण्डज प्रवरारुढ़ा चण्डकोपास्त्र कैर्युता |
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्र घंष्टेति विश्रुता ||
चौथा दिन
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च ।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
पांचवा दिन
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
छठा दिन
1. ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
2. चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
सातवा दिन
ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
आठवा दिन
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
Om Devi Mahagauryai Namah॥
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
नोवा दिन
सिद्धगधर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।