Navratri 2022: नवरात्र पर प्रदेश भर में माता की पूजा-अर्चना, मैया की सजावट में लगी होड़, चार करोड़ रूपए की लागत की नोटों की मालाएं भी बिक्री के लिए उपलब्ध

Samachar Jagat | Wednesday, 28 Sep 2022 12:59:54 PM
Mother worshiped across the state on Navratri, competition for decoration of Maya, garlands of notes costing four crore rupees are also available for sale

जयपुर। नवरात्र स्थापना पर देश-भर में मैया की पूजा- अराधना का आयोजन धूमधाम से चल रहा है। माता का दरबार कैसे सजाए। इस पर लोगों के बीच होड़ लगी हुई है। मान्यता है कि माता रानी का श्रंगार जितना आकर्षक होगा उस परिवार पर लक्ष्मी मैया की विशेष कृपा होती है। 

 ग्राहकों की संतुष्टि  के लिए पुरोहित जी का कटला में मैया की सजावट के सामान का काफी अच्छा संकलन देखने को मिल रहा है। सुरेश अग्रवाल बताते इस अवसर पर माता रानी और घरों की सजावट के लिए उनके पास काफी सामग्री है। कटला में पच्चीस से अधिक व्यवसायी इन आयटमो  की बिक्री कर रहे हैं। दो साल के बाद यह आयोजन होने पर लोगों में काफी दिलचस्पी नजर आ रही है। उनके यहां जयपुर के अलावा आसपास के शहर अलवर, अजमेर, सीकर, दौसा, भरतपुर आदि से व्यवसायी यहां खरीददारी के लिए आ रहे हैं। इन आईटमों की मांग अधिक होने पर व्यवसायी उत्साहित है। 

रामदयाय गुप्ता कहते हैं कि पूजा करते समय आमतौर पर भगवान को नए कपड़े पहनाए जाते हैं। रेडीमेड पोशाक महंगी होने पर लोगों की दिलचस्पी ये परिधान घर पर ही बनाए गए है। इसके लिए लाल रंग का कपड़ा, गोटा, आरी-तारी और अनेक ढेर सारे आईटमों की बिक्री जम कर हो रही है। 

पोषाकों के अलावा तरह- तरह के फूलों की डिमांड बढ गई है। गेंदे के अलावा गुलाब के फ ूल यहां दुकानों पर अच्छे डिसप्ले के साथ बेचे जा रहे हैं। गुलाब का फूल और कमल के फूल की कोई रेट फिक्स नहीं है। विक्रेता अपने स्तर पर जैसा ग्राहक वैसी कीमत के सिद्धांत पर कारोबार कर रहे है। 

माता की चौकी की सजावट के लिए भी कई सारे नियमों का पालन किया जा रहा है। वास्तु शास्त्र के अनुसार नवरात्र में कलश घट की स्थापना ईशान कोण में करनी चाहिए। साथ ही अगर अखंड ज्योति जला रहे हैं तो आग्नेय कोण में  उसे स्थापित करें। क्यों कि अग्नि कोण अग्नि  का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिशा में अखंड ज्योति जलाने से शत्रुओं का नाश होता है। वहीं देवी की प्रतिमा पश्चिम या उत्तर की ओर रखनी चाहिए। कहा जाता है कि माता की  चौकी सजाने के लिए सबसे पहले एक टेबल या लकड़ी की चौकी बिछा कर उस पर लाल कपड़ा लगाया गया है। भगवान की  जो मूर्तियां रखी है उसे सबसे पहले गंगाजल से पवित्र किया गया है। इसके बाद उन्हें चौकी पर आकर्षक ढंग से सजाया है। माता रानी की मूर्ति को बीच में आसन दिया है। मैया को लाल चुनरी ओढाई जाती है। बाद मेंं माता को ताजा फूलों शानदार तरीके से सजाने की प्रथा है। सजावटी फूलों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है। साथ ही तांबे के  बर्तन में पानी डाल कर उसमें फूलों को सजाने के साथ खूबसूरत रंगोली बनाई गई है। मंदिर या चौकी को सजाने के लिए रंगीन कागजों का भी उपयोग किया गया है। रंगीन कागज की झालर तो बड़ी खूबसूरत लग रही है। अनेक लोगों ने मैया के देवालय को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया है। मंदिर को फूल के अलावा आम के पत्तों से सजाना उपयुक्त माना गया है। सजावट मेंं हैंडीक्राफ़ट के आइटम्स की मांग काफी अधिक हो रही है। 

टेराकोटा के हाथी, घोड़े, हाथ की जोड़ी स्टेच्यू आदि को रखा गया है। अनेक लोगों के द्बारा मंदिर की सजावट के लिए मिटटी के सजावटी सामान का भी प्रयोग किया जा रहा है। शहर की छोटी चौपड़ व बड़ी चौपड़ और त्रिपोलिया बाजार में कई सारी फुटपाथी दुकाने लगाए गई है। बहुत से लोगोें ने माता को नोटों का हार भी बनाया गया है। अनुमान है कि इस सजावट पर चार करोड़ के आईटम बिक्री के लिए उपलब्ध है।



 

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