Pongal 2023 : पोंगल का त्योहार क्यों मनाया जाता है और महत्व जानें

Samachar Jagat | Saturday, 07 Jan 2023 02:17:44 PM
Pongal 2023: Why is the festival of Pongal celebrated and know its importance

पोंगल दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह मुख्य रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में मनाया जाता है। दक्षिण भारत के लोग इस पर्व को नववर्ष के रूप में मनाते हैं। जब उत्तर भारत में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है तो वहीं दक्षिण भारत में पोंगल का त्योहार मनाया जाता है। पोंगल का यह पर्व चार दिनों तक चलता है। पोंगल का त्योहार दक्षिण भारत में चार दिनों तक बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। तमिल में पोंगल का अर्थ होता है उफान या उथल-पुथल। पोंगल पर्व पर सुख-समृद्धि के लिए वर्षा, धूप और कृषि से संबंधित वस्तुओं की पूजा की जाती है।

पोंगल कब शुरू हो रहा है?

तमिल कैलेंडर के अनुसार जब 14 या 15 जनवरी को सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे नए साल की शुरुआत माना जाता है। इस साल पोंगल का त्योहार 15 जनवरी से 18 जनवरी 2023 तक मनाया जाएगा। 

चार दिवसीय त्योहार की मुख्य परंपराएं

पोंगल का पर्व चार दिनों तक अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। इस चार दिवसीय उत्सव के पहले दिन को भोगी पोंगल के रूप में मनाया जाता है। इस दिन इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है। पोंगल के दूसरे दिन को सूर्य पोंगल, तीसरे दिन को मट्टू पोंगल और चौथे दिन को कन्नम पोंगल के रूप में मनाया जाता है।

पोंगल सुख-समृद्धि का प्रतीक है

जिस तरह से सूर्य के उत्तरायण होने के बाद उत्तर भारत में मकर संक्रांति मनाई जाती है। इसी तरह दक्षिण में पोंगल का त्योहार मनाया जाता है। परंपरागत रूप से यह त्योहार समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, जिसमें समृद्धि लाने के लिए बारिश, धूप और खेत में मवेशियों की पूजा की जाती है।

इस तरह पोंगल माना जाता है

पोंगल का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान घरों की साफ-सफाई और प्लास्टर किया जाता है। इसके बाद रंगोली बनाई जाती है। माना जाता है कि पोंगल के मौके पर दक्षिण भारतीय लोग बुरी आदतों को छोड़कर सुखी जीवन की कामना करते हैं।



 

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