इंटरनेट डेस्क। सफलता के कई सूत्र होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति सफल होना चाहता है लेकिन इसके लिये क्या ज़रूरी है। सफलता के लिए ज्ञान का होना तो आवश्यक है कि साथ ही आपका व्यवहार भी इसमें अहम भूमिका निभाता है। चाणक्य की चाणक्य नीति भी यही कहती है कि व्यक्ति के पास यदि विनम्रता और मधुर वाणी है तो वह बड़े से बड़े कार्यों को आसानी से पूर्ण कर लेता है।
गीता के उपदेश में भी भगवान श्रीकृष्ण ने व्यक्ति के श्रेष्ठ आचरण के बारे में इन दोनों ही गुणों को श्रेष्ठ बताया है। महाभारत के प्रभावशाली व्यक्तियों की जब बात आती हैं तो इसमें एक नाम विदुर का भी आता है। विदुर को महात्मा विदुर भी कहा जाता है, क्योंकि उनका आचरण बहुत ही श्रेष्ठ था उनकी वाणी मधुर थी और वे बहुत ही सहज और विनम्र थे। विद्वानों की मानें तो सफलता का राज इन्हीं दो गुणों में छिपा है. व्यक्ति जितना विनम्र होगा उसका स्वभाव उतना ही लोगों को प्रभावित करने वाला होगा।

मधुर वाणी बोलने वाले व्यक्ति को सभी सम्मान प्रदान करते हैं। इनकी बातों को आसानी से मान लेते है। वहीं विनम्रता व्यक्ति को महान बनाती है। ये दोनों ही गुण व्यक्ति को ज्ञान और संस्कार से प्राप्त होते हैं।