हर महीने अमावस्या तिथि पड़ती हैं और हिंदू धर्म में पवित्र गंगा स्नान और दान करना बहुत शुभ माना जाता है। शनिवार को अमावस्या तिथि पड़ती है तो इसे शनिश्चरी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। शनिवार को हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार शनि देव की विशेष पूजा की जाती है क्योंकि शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित है।
शनिचारी अमावस्या 2022: तिथि और समय
आज हम आपको बताएंगे कि शनि के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए शनिचरी अमावस्या को क्या करना चाहिए। भाद्रपद मास की अमावस्या का दिन शुक्रवार 26 अगस्त को दोपहर 12.23 बजे से शनिवार 27 अगस्त को दोपहर 12.23 बजे से दोपहर 01.46 बजे तक रहेगा । उदय तिथि हिंदू धर्म में एक सार्वभौमिक तिथि है। इसलिए अमावस्या तिथि 27 अगस्त यानि शनिवार को पड़ती है।
शनिचरी अमावस्या 2022: शनि के दुष्प्रभाव को दूर कैसे करें
1. शनिश्चरी अमावस्या के दिन प्रातः काल किसी पवित्र नदी में स्नान कर लें। यदि नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर में एक बाल्टी पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।
2. इस दिन स्नान करके शनि देव की पूजा करें और सरसों के तेल से शनि देव का अभिषेक करें। इसके बाद शनि रक्षा स्तोत्र का पाठ करें। ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
3.शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनि मंदिर जाएं और वहां शनि चालीसा का पाठ करें। शनि देव को काले तिल, धूप, सरसों के तेल का दीपक आदि चढ़ाएं।
4. शनिश्चरी अमावस्या के दिन पवित्र जल में स्नान कर जरूरतमंद लोगों को काली उड़द, लोहा, स्टील के बर्तन और काले तिल का दान करें। ऐसा करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैया से मुक्ति मिलती है।
5. शनि देव के दुष्प्रभाव से बचने के लिए शनिचरी अमावस्या के दिन एक पीपल के पेड़ के नीचे जल चढ़ाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। साथ ही इस दिन काले कौवे को भोजन कराएं। ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और शनि देव के दुष्प्रभाव दूर होते हैं।