नयी दिल्ली। महिला हाउसिग ट्रस्ट और हेल्प दिल्ली ब्रीथ (दिल्ली को सांस लेने में मदद करें) अभियान ने राष्ट्रीय राजधानी में महिला निर्माण श्रमिकों के बीच किए गए एक सर्वेक्षण में पाया है कि निर्माण गतिविधियों के दुष्परिणामों के कारण महिला श्रमिक सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
इस सर्वेक्षण में दिल्ली के बक्करवाला, गोकुलपुरी और सवदा घेवरा क्षेत्रों में महिला निर्माण श्रमिकों के साथ किये गए प्रेरक कार्यक्रमों और केंद्रित समूह चर्चा शामिल हैं। दोनों संगठनों के संयुक्त बयान में बताया गया कि सर्वेक्षण का उद्देश्य वायु प्रदूषण के संबंध में महिला श्रमिकों के ज्ञान अधिग्रहण, व्यवहार परिवर्तन और व्यवहार संशोधन का आकलन करना था। अध्ययन के दो भाग-प्रारंभिक सर्वेक्षण और प्रभाव सर्वेक्षण, महिला निर्माण श्रमिकों के बीच'पूर्व और अभियान बाद के धारणा परिवर्तन’पर केंद्रित थे।
अध्ययन ने महिला निर्माण श्रमिकों जैसे प्रभावित समुदायों को वायु प्रदूषण पर निर्णयकर्ताओं में लाने की तत्काल आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे न्यायसंगत, स्थायी और दीर्घकालिक समाधान सुनिश्चित हो सके। सर्वेक्षण में पाया गया कि 87 प्रतिशत महिलाओं को खराब वायु गुणवत्ता का प्रभाव कम करने के लिए किए जा रहे कार्यों और प्रयासों के बारे में पता नहीं था। अन्य प्रमुख निष्कर्षों में सर्वेक्षण से पता चला कि 94 प्रतिशत महिला निर्माण श्रमिकों ने अपनी नौकरी खोने के डर से वायु प्रदूषण के नकारात्मक प्रभाव को रोकने के लिए कभी भी आवाज या कोई कदम नहीं उठाया। 94 प्रतिशत महिलाएं मानती हैं कि वायु प्रदूषण एक जरूरी मुद्दा है जिसे प्राथमिक मानकर देखा जाना चाहिए।
महिलाओं ने सर्वेक्षणकर्ताओं से कहा कि वे उम्मीद करती हैं कि सरकार प्रभावित वर्ग पर जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाएगी,जबकि 68 प्रतिशत महिलाओं का मानना ??है कि प्रदूषण पर ध्यान केंद्रित करने से उनके रोजगार के अवसर सीमित हो सकते हैं।
हवा की गुणवत्ता खराब होने से, लगभग 75 प्रतिशत लोगों ने बीमार और असहज महसूस करने की शिकायत की और 73 फीसदी से अधिक महिलाओं ने सांस लेने, अस्थमा, खांसी, त्वचा की एलर्जी, लालिमा या आंखों में जलन जैसी समस्याओं की शिकायत की। 96 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वायु प्रदूषण ने उन्हें बुरी तरह प्रभावित किया है।
श्रमिकों का मानना ??था कि स्थानीय सरकारों-एमसीडी और राज्य सरकार को लोगों पर वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए कचरे के उत्सर्जन को कम करना चाहिए और संग्रह तंत्र में सुधार लाना चाहिए।