वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का राशि परिवर्तन बहुत ही मायने रखते है,क्योंकि इसका प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर होता है। साल 2022 कई ग्रहों के राशि परिवर्तन का वर्ष होगा। इस वर्ष अप्रैल का महीना ग्रहों के राशि परिवर्तन के हिसाब से खास रहने वाला है। अप्रैल के महीने में शनि,गुरु और राहु-केतु काफी अंतराल के बाद राशि बदलेंगे। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि अप्रैल के महीने में राहु-केतु करीब 18 महीनों के बाद राशि बदलने वाले हैं। राहु-केतु का राशि परिवर्तन 11 अप्रैल को होगा। राहु-केतु दोनों ही छाया ग्रह माने गए हैं और ये हमेशा वक्री यानी उल्टी चाल से चलते हैं। 11 अप्रैल को राहु मेष में और केतु तुला राशि में प्रवेश करेंगे। मौजूदा समय में राहु वृषभ और केतु वृ्श्चिक राशि में मौजूद हैं। 2022 से 18 साल पहले राहु-केतु मेष-तुला राशि में थे। मेष राशि का स्वामी मंगल ग्रह है, मंगल और राहु एक-दूसरे के शत्रु माने जाते हैं। तुला राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है। शनिदेव के बाद राहु-केतु सबसे ज्यादा दिनों तक किसी एक राशि में विराजमान रहते हैं। शनि जहां ढाई साल के बाद राशि परिवर्तन करते हैं तो वहीं राहु-केतु डेढ़ साल के बाद उल्टी चाल से चलते हुए राशि बदलते हैं।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि 18 साल बाद दोबारा से राहु-केतु मेष और तुला राशि में प्रवेश करने वाले हैं। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मेष राशि के स्वामी ग्रह मंगल हैं और तुला राशि के स्वामी ग्रह शुक्र ग्रह है। मंगल और राहु एक-दूसरे के प्रति शत्रुता का भाव रखते हैं। वहीं केतु और शुक्र ग्रह एक दूसरे के प्रति समान भाव के माने गए हैं। राहु-केतु के बारे में पौराणिक कथा काफी प्रचलित है कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हो रहा था तो राहु-केतु चुपके से मंथन के दौरान निकला अमृत पी लिया था। तब भगवान विष्णु मोहनी का रूप धारण करके सभी देवताओं को अमृतपान करा रहे थे जैसे ही उन्हें इस बात का आभास हुआ फौरन ही अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया था। हालांकि इस दौरान राहु ने अमृत पान कर लिया जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई। तभी से राहु को सिर और केतु को धड़ के रूप में है।
राहु-केतु का असर
राहु के मेष राशि में जाने से देश-दुनिया में प्राकृतिक प्रकोप आने के योग बन सकते हैं। गर्मी की बढ़ोतरी होगी और वर्षा में कम आ सकती है। राजनीति के क्षेत्र में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। जनता में तनाव बढ़ सकता है। केतु के तुला में होने से झूठी बातें ज्यादा तेजी से फैलेंगी। जनता को त्वचा रोगों का सामना करना पड़ सकता है। किसानों की फसलों पर टिड्डियों और अन्य कीटों का आक्रमण हो सकता है। किसानों को अतिरिक्त सावधानी रखनी होगी। देश-दुनिया में राजनीति अपने चरम पर होती है। एक-दूसरे देशों में तनाव काफी बढ़ जाता है। रोग बढ़ जाते है जिससे जनता का हाल बुरा हो जाता है।
राशियों पर असर
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि राहु-केतु की वजह से मेष, कर्क, कन्या, मकर राशि के लोगों को अतिरिक्त सतर्कता के साथ काम करना होगा, वर्ना हानि हो सकती है। वृष, सिंह, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ राशि के लोगों के लिए समय लाभदायक रह सकता है। इन लोगों को धन लाभ के साथ ही मान-सम्मान मिल सकता है। मिथुन और मीन राशि के लिए समय सामान्य रह सकता है। इन लोगों को मेहनत के अनुसार मिलता रहेगा।
उपाय
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि जिन जातकों की कुंडली में राहु-केतु अशुभ प्रभाव रखते हैं उनको इससे बचने के लिए शनिदेव और भैरव भगवान की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ करने से राहु-केतु का प्रभाव नहीं रहता। जरूरतमंद लोगों को काले कंबल और जूते-चप्पल का दान करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री अर्पित करें। माता दुर्गा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। नाग पर नाचते हुए भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए। साथ ही मंत्र (ओम नमः भगवते वासुदेवाय) का जाप करें।