कोरोना वायरस का संकट कम नहीं हो रहा है. संकट बढ़ने की वजह से देश में लॉकडाउन की मियाद बढ़ा डाली गई है. लेकिन देश के सामने संकट बड़ा है. लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना सरकार के सामने बड़ी चुनौती है. अर्थव्यवस्था गिरती जा रही है और करोड़ों लोगों की नौकरियां जाने का खतरा मंडरा रहा है. उद्योग संघ फिक्की ने सरकार से करीब दस लाख करोड़ के स्टिमुलस पैकेज की मांग की है. कयास है कि कोरोना वायरस संकट की वजह से तीन करोड़ तक नौकरियां जा सकती हैं. उद्योग संघ सीआईआई की पर्यटन से जुड़ी समिति का कहना है कि जो लोग भी ट्रेवल एंड टूरिज्म सेक्टर के पूरे वैल्यू चेन से जुड़े हैं उनमें नौकरियां जाने का खतरा है.
सीआईआई की टूरिज्म समिति के चेयरमैन दीपक हकसर ने कहा कि पूरे सेक्टर को पांच लाख करोड़ तक के नुक्सान का अंदेशा है, लिहाजा सरकार से कुछ रियायतें भी चाहते हैं. सरकार को अगले छह महीने से एक साल तक करों में रियायत देनी चाहिए. जीएसटी हॉलिडे देना चाहिए. सरकार छह महीने तक टैक्स न ले. यह मांग उद्योग संघ फिक्की ने भी वित्त मंत्री के सामने रखी है. फिक्की की गुज़ारिश है कि अर्थव्यवस्था के लिए नौ से दस लाख करोड़ के स्टिमुलस पैकेज की ज़रुरत है और बिना किसी पेनल्टी के जीएसटी और दूसरे टैक्स अगले छह महीने तक न लिए जाएं.
फिलहाल सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती ट्रेवल और टूरिज्म जैसे सेक्टर में हालात को संभालने की होगी जहां करोड़ों नौकरियां जाने का खतरा मंडरा रहा है. मुश्किल ये है की अमेरिका और यूरोप में कोरोना संकट ने भयावह रूप ले लिया है जिस वजह से ट्रेवल एंड टूरिज्म सेक्टर का अनुमान है की हालात में सुधार होने में छह महीने से एक साल तक लग सकता है. ऐसे में सरकार को राहत देने के लिए जल्दी पहल करनी होगा. होमस्टे के कारोबार को भी कोरोना ने काफी नुकसान पहुंचाया है. देहरादून स्थित दून वैली होमस्टे की प्रबंध निदेशक राष्ट्रीय का कहना है कि इस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. पर्यटन को गति देने के लिए जरूरी है कि सरकार उद्योग को बचाने की बड़ी पहल करे. (राजनीतिक-सामाजिक मुद्दों पर सटीक विशलेषण के लिए पढ़ें और फॉलो करें).