Aadhar: आंगनवाड़ी केन्द्रों में 5 वर्ष तक के बच्चे का आधार पंजीयन जारी

Samachar Jagat | Wednesday, 03 Aug 2022 03:39:37 PM
Aadhar registration of children up to 5 years continues in Anganwadi centers

भोपाल | मध्यप्रदेश में 5 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के आधार पंजीयन को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्बारा आधार पंजीयन के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग को रजिस्ट्रार बनाया गया है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार संचालक महिला बाल विकास डॉ रामराव भोसले ने बताया कि आंगनवाड़ी केन्द्रों में 5 वर्ष तक के बच्चों का आधार पंजीयन नि:शुल्क किया जा रहा है। सभी एकीकृत बाल विकास परियोजनाओं को स्थाई आधार पंजीयन केन्द्र के रूप में अधिसूचित किया गया है। एक अगस्त तक 84 हजार 91 बच्चों का आधार पंजीयन किया जा चुका है।

उन्होंने कहा कि 5 वर्ष तक की आयु वाले सभी बच्चों के आधार पंजीयन को सुनिश्चित करने के लिए विभाग द्बारा इंडिया पोस्ट एवं पेमेंटस बैंक को भी सहयोग किया जा रहा है। पोस्टमेन एवं ग्रामीण डाक सेवकों के माध्यम से दूरस्थ अंचलों में अभियान चलाकर बच्चों का आधार पंजीयन नि:शुल्क किया जा रहा है। संचालक डॉ भोसले ने बताया कि तकनीकी कार्य के लिए प्रत्येक परियोजना को डेस्कटॉप, लेपटॉप एवं टेबलेट उपलब्ध कराये गये है। कार्य में गति और गुणवत्ता के लिए विभाग द्बारा सीएससीएसपीव्ही संस्था के साथ अनुबंध किया गया है।

इसमें संस्था द्बारा 8 जिलों के 46 केन्द्रों में आधार पंजीयन कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। शीघ्र ही सभी 52 जिलों में 453 आधार पंजीयन केन्द्रों में पंजीयन का कार्य प्रारंभ हो जायेगा। उन्होंने बताया कि संचालित आधार पंजीयन केन्द्रों में गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं सहित अन्य नागरिक भी आधार पंजीयन एवं अपग्रेडेशन का लाभ ले सकते हैं। आधार संख्या प्राधिकरण द्बारा निर्धारित सत्यापन प्रक्रिया को पूरा करने के बाद यू.आई.डी.ए.आई. द्बारा भारत के सभी निवासियों को जारी की जाने वाली 12 अंकों की एक रेंडम संख्या है। किसी भी आयु का कोई भी व्यक्ति जो भारत का निवासी है, बिना किसी लिग भेद के आधार संख्या प्राप्ति के लिए स्वेच्छा से नामांकन करवा सकता है।

इच्छुक व्यक्ति को नामांकन प्रक्रिया के दौरान, जो पूरी तरह से लागत रहित है, न्यूनतम जन-सांख्यिकीय और बायोमेट्रिक सूचना उपलब्ध करवानी होती है। किसी भी व्यक्ति को आधार के लिए नामांकन केवल एक बार करना होता है और डी-डुप्लिकेशन प्रणाली के जरिए विशिष्टता प्राप्त की जाती है। डी-डुप्लिकेशन के बाद केवल एक आधार ही सृजित किया जाता है।



 

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