उप्र में भूतत्व विभाग बालू और मौरंग की जगह देगा कृत्रिम बालू का विकल्प

Samachar Jagat | Wednesday, 27 Apr 2022 02:14:55 PM
Geology department in UP will replace sand and moorang with artificial sand

लखनऊ। विकास एवं निर्माण कार्यों में बेतहाशा इस्तेमाल हो रही बालू और मौरंग के अंधाधु्ंध दोहन से प्रकृति को हो रहे नुकसान से बचाने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने वैकल्पिक संसाधनों के प्रयोग को बढ़ावा देने की नीति को लागू करने की अनूठी एवं कारगर पहल की है।


बालू और मौरंग की लगातार बढ़ती मांग को देखते हुए योगी सरकार द्बारा प्रदेश में आगामी 1०० दिनों के अंदर कृत्रिम बालू के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार खनिकर्म संसाधनों की मांग में लगातार वृद्धि को देखते हुए राज्य के भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग बालू और मौरंग के विकल्प के रूप में पत्थरों के क्रशिग से उत्पन्न कृत्रिम बालू 'एम-सैंड’ को प्रोत्साहित करने हेतु जल्द ही शासनदेश जारी करेगा। जिससे बालू की खपत पूरी की जा सके और बालू के अवैध खनन में कमी लायी जा सके।


विभाग की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष आगामी 100 दिन, 2 वर्ष और 5 वर्ष की कार्ययोजना का प्रस्तुतीकरण देते समय यह जानकारी दी गयी। इसमें विभाग ने बताया कि वैध खनन को बढ़ावा देते हुए सस्ती दरों पर उपखनिज उपलब्ध कराना विभाग की प्राथमिकता है। साथ ही, अवैध खनन व परिवहन पर प्रभावी नियंत्रण करना भी विभाग के लिए महत्वपूर्ण लक्ष्य है।


विभाग ने बताया कि वर्ष 2017 के पूर्व, बालू और मोरम के खनन  की संख्या लगभग नगण्य थी, और माननीय न्यायालय के आदेश के क्रम में, पारदर्शी  आबंटन नीति बनाई गई। फलस्वरूप, पिछले 5 वर्षों में, ई-निविदा और ई-नीलामी के माध्यम से खनन स्वीकृत किये जाने हेतु पारदर्शी खनन नीति-2017 व तत्सम्बंधी नियम बनाए गए।


वर्ष 2017 से 2022 तक, बालू और मौरंग के कुल निष्पादित  की संख्या 579 हो गयी है। तकनीकी का समुचित प्रयोग करते हुए, देश में पहली बार, उपखनिजों के लिए संयुक्त प्रोग्राम 'यूपी माइन मित्र’ विकासित किया गया। इसमे जनपद सर्वे रिपोर्ट (डीएसआर) से लेकर माइनिग लीज डीड तक की समस्त प्रक्रिया सम्मिलित है। इसी प्रकार, अवैध खनन पर नियंत्रण लाने के लिए इंटीग्रेटेड माइनिग सर्विलांस सिस्टम को लागू किया गया है।


आगामी 100 दिनों में तय किये गए लक्ष्यों में प्रमुख हैं - खनन व्यवसाय में रिस्क को कम करने हेतु, खनन  की अवधि 5 वर्ष से घटा कर 2 वर्ष किया जाना, और बालू व मौरंग के खनन पSों में ऑनलाइन अग्रिम मासिक किश्त के स्थान पर महीने के अंत तक पूर्ण किश्त जमा करने का समय प्रदान किया जाना।
आगामी 2 वर्षों में विभाग द्बारा पर्यावरण विभाग के 'परिवेश’ पोर्टल को खनिज विभाग के 'माइन मित्रा’ पोर्टल से जोड़ते हुए, 'दर्पण’ से इन्टीग्रेट किया जाएगा। इसी समयावधि में प्रथम चरण में प्रदेश के बुंदेलखंड व पूर्वांचल की प्रमुख नदियों की तकनीकी संस्था से 'मिनरल मैपिग’ कराकर, नए खनन क्षेत्रों को जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट में सम्मिलित किया जाएगा।


पाँच वर्षों की कार्ययोजना में विभाग का लक्ष्य है कि प्रदेश के शेष जनपदों की भी मिनरल मैपिग पूरी की जाए और उपखनिजों के खनन क्षेत्रों की संख्या में दोगुनी वृद्धि की जाए। 



 

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