विदेश संबंधों में रणनीतिक स्वतंत्रता को लेकर ­ढह रहा भारत

Samachar Jagat | Wednesday, 29 Dec 2021 11:24:32 AM
India collapsing due to strategic independence in foreign relations

नयी दिल्ली।  वर्ष 20 21, कोविड की महामारी के बीच भारत के लिए कूटनीतिक मजबूती का संदेश देकर विदा हो रहा है। इस वर्ष में भारत ने जहां भारत ने सौ से अधिक देशों में कोविड के टीकों की मदद मुहैया कराके अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मानवीय चेहरे के साथ प्रशंसा हासिल की वहीं विदेश नीति के मामले में रणनीतिक स्वतंत्रता पर ­ढè रहकर विश्व शक्तियों के दबाव को अस्वीकार कर दिया।

सीमापार आतंकवाद एवं घुसपैठ के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक रुख के साथ ही पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत चीन के आगे झुकने की बजाय ­ढèता से डटा रहा है और ताइवान के राष्ट्रपति के शपथग्रहण समारोह में शामिल होकर उसकी दुखती रग छू ली। इस प्रकार से चीन को उसने सख्त संदेश दिया कि भारत अब पुराने समझौतावादी रुख को त्याग कर जैसे को तैसा की रणनीति पर चलेगा।

चीन के मामले में वर्ष 20 20  से जारी गतिरोध को लेकर भारत-चीन सीमा विषय संबंधी समिति (डब्लूएमसीसी) की कई बैठकें तथा भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की 13 बैठकें हो चुकीं हैं। पर पैंगांग त्सो झील के उत्तर में एवं गोगरा क्षेत्र में सैनिकों की वापसी हुई लेकिन अन्य क्षेत्रों में अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका है। विगत 10  अक्टूबर को चुशुल-मोल्दो सीमा पर निर्धारित स्थान पर आयोजित 13वीं बैठक में भारत ने चीन को बाकी क्षेत्रों से हटने के लिए साफ तौर पर कहा लेकिन चीनी पक्ष के रुख में बदलाव नहीं आने के कारण बातचीत विफल रही। भारत ने भी एलएसी पर सैन्य तैनाती बनाये रखने का फैसला किया। भारत ने तय किया कि वह चीन को किसी प्रकार की ढील नहीं देगा।

म्यांमार में सैन्य शासन के साथ राजनयिक संपर्क हो या अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व के साथ परदे के पीछे का संपर्क, भारत ने इस साल यह भी दुनिया को दिखाया कि वह आदर्शों के छलावे से बाहर आकर अपने हितों के लिए किसी से भी संबंध या संपर्क रखने के लिए स्वतंत्र है। म्यांमार के साथ भारत की 1600  किलोमीटर की सीमा है और नगा एवं मणिपुर के विद्रोही संगठनों के विरुद्ध कार्रवाई में म्यांमार की सेना का भारत को सहयोग मिलता है। वहां सैन्य तख्तापलट के बावजूद भारत ने म्यांमार को कोविड टीकों की मानवीय सहायता जारी रखी और साथ ही सैन्य नेतृत्व को लोकतांत्रिक नेता आंग सान सू ची की गिरफ्तारी पर नाखुशी का भी इजहार किया।

अमेरिका एवं रूस के साथ रणनीतिक संबंधों को लेकर भी भारत ने अपने हितों को लेकर ­ढè रुख अपनाया। एक ओर भारत ने अमेरिका के साथ अपने रक्षा एवं कूटनीतिक संबंधों को विस्तार दिया और ना सिर्फ हिन्द प्रशांत क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता, समुद्री कानून के अनुपालन के उद्देश्य से बना अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जापान एवं भारत का चतुष्कोणीय गठजोड़ क्वाड को सक्रिय करने में अहम भूमिका निभायी वहीं दूसरी ओर एस-400  मिसाइल रोधी प्रणाली की खरीद और रूस के साथ विदेश एवं रक्षा मंत्रियों की टू प्लस टू वार्ता को लेकर अमेरिकी प्रतिबंधों के दबाव को बड़ी साफगोई से ठुकरा दिया। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन का इस वर्ष दूसरी विदेश यात्रा पर भारत आना भी बड़ी घटना रही। जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति का पांरपरिक रूप से एशिया में सबसे पहले चीन के राष्ट्रपति से नहीं मिल कर भारत के प्रधानमंत्री से मुलाकात करना भी भारत के लिए सकारात्मक उपलब्धि रही।

चीन की सामरिक घेराबंदी के रूप से क्वाड की शिखर बैठकों में सक्रिय भूमिका के अतिरिक्त अमेरिका, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) एवं भारत के एक नये आर्थिक क्वाड को आकार देने में भारत ने दिलचस्पी ली तो वहीं अमेरिकी आपत्तियों को दरकिनार करके ईरान के साथ अफगानिस्तान में आपूर्ति का मार्ग खोला। भारत ने अमेरिका द्बारा राष्ट्रपति जोसेफ आर बिडेन की अध्यक्षता में आयोजित लोकतंत्र शिखर सम्मेलन में देश में स्वास्थ्य, शिक्षा और मानव कल्याण सहित सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व सामाजिक-आर्थिक समावेशन एवं निरंतर सुधार की कथा सुनायी और कहा कि भारत ने साबित किया कि लोकतंत्र दे सकता है, लोकतंत्र ने दिया है, और लोकतंत्र देता रहेगा।


इसी वर्ष भारत ने ऐसे वक्त में एक माह के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभाली जब अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी के बाद सत्ता पर तालिबान के काबिज होने से आतंकवाद की आशंका बढी । लेकिन भारत ने सुरक्षा परिषद में अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में प्रस्ताव संख्या 2593 के रूप में तालिबान के संभावित आतंकवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण औज़ार प्राप्त किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी माह सुरक्षा परिषद में ''समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा: अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता’’ विषय पर एक उच्च स्तरीय खुली बहस की अध्यक्षता की।


वर्ष 20 21 बंग्लादेश की स्थापना के स्वर्ण जयंती वर्ष की शुरुआत के लिए याद किया गया। यह वर्ष बंगलादेश के संस्थापक शैख मुजीबुर्रहमान की जन्मशती का वर्ष था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च में तथा राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने 15 दिसम्बर को ढाका की यात्रा की और स्वर्ण जयंती समारोह एवं परेड में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। दुर्गा पूजा के मौके पर पाकिस्तान परस्त इस्लामिक संगठन द्बारा पूजा पंडालों और मंदिरों पर हिसक हमलों ने बदमज़गी पैदा की लेकिन शेख हसीना सरकार इस स्थिति को संभालने में कामयाब रही।


नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी की के पी शर्मा ओली की सरकार के हटने और नेपाली कांग्रेस के शेरबहादुर देउबा के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत नेपाल संबंध तेजी से पटरी पर लौटने लगे। भूटान ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान से अलंकृत करने की घोषणा की। भारत के समर्थन से मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद का संयुक्त राष्ट्र का अध्यक्ष चुना जाना एक अच्छी खबर रही।



 

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