शिक्षा के नाम पर ढोल पीट रही है केजरीवाल सरकार: Congress

Samachar Jagat | Saturday, 24 Sep 2022 04:26:50 PM
Kejriwal government is beating drums in the name of education: Congress

नयी दिल्ली |  कांग्रेस ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार पर शिक्षा के नाम पर सिर्फ ढोल पीटने का आरोप लगाते हुए शनिवार को कहा कि यह सरकार जिसे शिक्षा का मॉडल कह कर की प्रचारित कर रही है वह सिर्फ लीपापोती है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित ने आज यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दिल्ली में पहले की तुलना में न नये स्कूलों की संख्या बढी है, न छात्रों की संख्या बढी  है और ना ही अध्यापकों की नियुक्ति हुई है। कुछ स्कूलों को रंग रोगन करके चमकाने का प्रयास किया गया है लेकिन परीक्षा के परिणाम पहले की तुलना में बहुत कम बढ़े हैं, छात्रों की संख्या बढ नहीं रही है तो दिल्ली सरकार फिर किस शिक्षा मॉडल की बात करती है, यही बड़ा सवाल है।

उन्होंने कहा कि 1998 99 में दिल्ली सरकार के 12 वीं के रिजल्ट में 64 प्रतिशत बच्चे पास होते थे लेकिन 2013-14 में यह बढ़कर 90 प्रतिशत हो गया यानी 25 प्रतिशत परीक्षा परिणाम में वृद्धि हुई लेकिन तब किसी मॉडल की बात नहीं हुई। उसके बाद जब रिजल्ट 7 प्रतिशत बढ़ा तो इसे मॉडल कह कर प्रचारित किया जाने लगा। उन्होंने सवाल किया कि जब 25 प्रतिशत रिजल्ट बढ़ता है तो कोई मॉडल नहीं होता है और जब रिजल्ट 7 प्रतिशत बढता है तो उस परीक्षा परिणाम को मॉडल कहा जाने लगता है। इसी तरह 10वीं की परीक्षा के परिणाम 2010-11 में ज़बरदस्त रहे लेकिन तब कांग्रेस की सरकार ने इस परिणाम को शिक्षा का मॉडल नहीं बताया। श्री दीक्षित ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने 500 स्कूल बनाने की बात की थी लेकिन उसका 10 प्रतिशत बना लिए होते तो बड़ा बदलाव आता। हालात यहहै है कि दिल्ली में हर स्कूल में कम से कम 20 अध्यापकों की कमी है। प्रिसिपल कितना कम है इसकी र लिस्ट लंबी है।

उन्होंने कहा कि यदि आठ साल में शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव हुआ है तो फिर दिल्ली के स्कूलों में छात्रों की संख्या उस हिसाब से क्यो नहीं बढी जबकि दावा किया जा रहा है कि दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में पढने के लिए दाखिला ले रहे हैं। दिल्ली में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के आंकड़े भी चौकाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने संसद में कहां है कि यहां में 14 से 15 प्रतिशत ड्रॉपआउट है। यह आंकड़ा देश मे सबसे ज्यादा है, लेकिन सरकार यह आंकड़ा कभी नहीं देती।

उनका कहना था कि जब दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी तो हर साल चार से पांच लाख बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ रहे थे और इस तरह से इस समय 22 लाख से ज्यादा बच्चे दिल्ली के स्कूलों में होनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इस वर्ष 16 लाख 10 हज़ार बच्चे दिल्ली के स्कूलों में है। इससे साबित होता है की सारी शिक्षा प्रणाली का ढोल पीटा जा रहा है। उनका कहना कि यदि इस शिक्षा मॉडल में कुछ होता तो दिल्ली के स्कूलों में 22 लाख बच्चे होते जबकि सिर्फ 16 लाख बच्चे क्यों है।



 

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