अगरतला : त्रिपुरा में आगामी विधानसभा उपचुनावों के मद्देनजर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच चुनावी रस्साकशी शुरू हो गयी है। एक ओर कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की कवायद शुरू कर दी है तो दूसरी ओर भाजपा ने भी कांग्रेस की राजनीतिक चाल को तोड़ने के लिए राज्य में वामदलों के 25 साल के शासन के दौरान लोकतंत्र और विकास के नाम पर हुए खिलवाड़ का आरोप लगाते हुए लोगों को चेताना शुरू कर दिया है।
तीन दिन पहले कांग्रेस के विधायक और वरिष्ठ राजनेता सुदीप रॉयबर्मन ने घोषणा की थी कि वह भाजपा के आतंक के शासन को खत्म करने के लिए सभी विपक्षी दलों से एकजुट होने की अपील करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि भाजपा के शासनकाल में त्रिपुरा में आतंक, हिसा और भ्रष्टाचार का बोलबाला है और ऐसे में लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकारों को भी खो चुके हैं यहां तक कि उन्हें अपने पसंद से मत देने का भी अधिकार नहीं है।
कांग्रेस के इस कवायद पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के इस कदम के पक्ष में पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता माणिक सरकार ने गुरुवार को कहा ''यदि वह ये पहल करना चाहते हैं और सफलतापूर्वक इसकी इतिश्री करते हैं तो हमें कोई परेशानी नहीं है। हमारी पार्टी विधानसभा से लेकर अन्य जगहों पर भी मिलकर काम करने को तैयार है। अगर कोई इस मामले पर काम करना चाहता है तो हम अपने राजनीतिक हितों को एक ओर रखकर पहले उसका साथ देंगे।