रांची : झारखंड की राजधानी रांची में 10 जून को उपद्रव की घटना में शामिल कथित उपद्रवियों का पोस्टर लगाने का विवाद गहरा गया है।
इस मामले में राज्य सरकार की ओर से रांची के वरीय पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र कुमार झा को शो-कॉज किया गया है। राज्य के गृह विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरूण एक्का ने आज इस संबंध में एसएसपी को से स्पष्टीकरण मांगा है और इस तरह की कार्यवाही को उच्च न्यायालय के आदेश के विपरीत बताया गया है।
गृह विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरूण एक्का ने रांची के एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा से 1० जून को रांची में हुई घटनाओं में कथित रूप से शामिल व्यक्तियों के फोटो सहित पोस्टर लगाये जाने के संबंध में दो दिनों के अंदर स्पष्टीकरण मांगा है। यह पोस्टर 14 जून को रांची में राजभवन के निकट जाकिर हुसैन पार्क स्थित होर्डिंग्स में चिपकाया गया था। गृह विभाग के प्रधान सचिव ने कहा कि 10 जून को रांची में हुई घटनाओं में नाजायज मजमा में कथित रूप् से शामिल व्यक्तियों के फोटो सहित पोस्टर 14 जून को रांची पुलिस द्बारा लगाये गये, जिनमें कई व्यक्तियों के नाम और अन्य विवरण भी दिये गये।
यह विधिसम्मत नहीं है और इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्बारा पीआईएल संख्या 532/2020 में दिनांक 9 मार्च 2020 को पारित न्यायादेश के विरूद्ध है। उपरोक्त आदेश में न्यायालय द्बारा सड़क किनारे लगे बैनरों को तत्काल हटाने के निर्देश दिये गये थे। न्यायालय ने उत्तर प्रदेश राज्य को निर्देश दिया था कि बिना कानूनी अधिकार के व्यक्तियों के व्यक्तिगत जानकारी वाले बैनर सड़क किनारे ना लगायें। यह मामला कुछ और कुछ नहीं, बल्कि लोगों की निजता में एक अनुचित हस्तक्षेप है। इसलिए यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।
गौरतलब है कि इससे राज्यपाल रमेश बैस ने डीजीपी,एडीजी और एसएसपी समेत अन्य आला अधिकारियों को राजभवन तलब किया था और ऐसे उपद्रवियों को चिह्िनत कर उनका पोस्टर शहर के मुख्य चौक-चौराहों पर चिपकाने का निर्देश दिया था। जिसके बाद रांची पुलिस की ओर से कल कुछ स्थानों पर पोस्टर चिपकाया गया, लेकिन उसे कुछ ही पलों में हटा लिया गया था। जिसके बाद से ही यह अनुमान लगाया जा रहा था कि राज्य सरकार के आदेश के बाद इसे हटाया गया था और हालांकि तब रांची पुलिस ने इसे संशोधित करने की बात की कही थी।