नई दल्लिी | उच्चतम न्यायालय ने भूमि अधग्रिहण से जुड़े अवमानना के एक मामले में भारतीय प्रशासनकि सेवा (आईएएस) की वरष्ठि अधकिारी एवं नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधकिारी के खलिाफ गैर जमानती वारंट जारी करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर अंतरमि रोक की अवधि 13 मई तक बुधवार को बढ़ा दी।
न्यायमूर्ति एस ए नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने सुनवाई से एक न्यायाधीश के खुद को अलग करने के बाद मामले को 13 मई तक स्थगति कर दयिा। पीठ ने कहा, ''चूंकि मामला अत्यावश्यक है, इसलएि प्रधान न्यायाधीश से उचति नर्दिेश लेने के बाद शुक्रवार को मामले को फरि से सूचीबद्ध कयिा जाए। इस बीच, अंतरमि आदेश जारी रहेगा।’’
शुरुआत में पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई करने में कुछ ''अक्षमता’’ है। उसने कहा कि मामले को कसिी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कयिा जाए। उच्च न्यायालय के आदेश के खलिाफ उत्तर प्रदेश की अधकिारी रतिु माहेश्वरी की ओर से वरष्ठि अधविक्ता मुकुल रोहतगी पेश हुए। रोहतगी ने कहा, ''यह एक गंभीर मामला है, जसिमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक महलिा पेश हुई, उसका वकील भी साथ मौजूद था और उसने सुनवाई बाद में करने का अनुरोध कयिा।
उच्च न्यायालय ने महलिा को पेश होने और हरिासत में लेने का नर्दिेश दयिा।” ’ एक पक्षकार की ओर से पेश हुए वरष्ठि अधविक्ता वकिास सहि ने अंतरमि आदेश की अवधि को बढ़ाए जाने का वरिोध कयिा और कहा कि जब एक न्यायाधीश सुनवाई से खुद को अलग कर रहा हो तो पीठ के लएि राहत देना अनुचति होगा।
शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा था कि यह एक नयिमति मामला बन गया है कि उत्तर प्रदेश के अधकिारी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेशों के खलिाफ उसके पास आ रहे हैं और वे अदालत के आदेशों का सम्मान नहीं करते। वरष्ठि आईएएस अधकिारी माहेश्वरी ने भूमि अधग्रिहण मामले से संबंधति अवमानना के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्बारा गैर जमानती वारंट जारी कएि जाने के खलिाफ शीर्ष अदालत का रुख कयिा है। अधकिारी के समय पर पेश नहीं होने के कारण उच्च न्यायालय का यह आदेश आया था।