अगरतला : त्रिपुरा में सत्तारुढ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी दल इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के दो बड़े नेताओं के बीच टकराव से पार्टी न सिर्फ शर्मनाक स्थिति में पहुंच गयी है वरन विभाजन की कगार पर भी है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक आईपीएफटी के भीतर पिछले दो साल से कलह की स्थिति है, लेकिन बुधवार को उस समय जबरदस्त अप्रत्याशित घटनाक्रम सामने आयी, जब पूर्व पार्टी अध्यक्ष एवं राजस्व मंत्री एन सी देववर्मा ने मौजूदा प्रदेश समिति को अवैध घोषित किया।
श्री देववर्मा ने संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया कि आदिम जाति कल्याण मंत्री मेवार के जमातिया की अध्यक्षता में मौजूदा प्रदेश समिति का गठन पार्टी की परंपरा और नियमों के अनुसार नहीं किया गया था, इसलिए यह समिति अवैध है और हाल के महीनों में इसके जो भी निर्णय और गतिविधियां रही , उनकी कोई वैधता नहीं है। उन्होंने संगठनात्मक मामलों पर चर्चा के लिए आईपीएफटी के अध्यक्ष के रूप में आज श्री जमातिया समेत सहित पार्टी पदाधिकारियों की एक बैठक बुलाई है।
इस बीच श्री जमातिया ने श्री देववर्मा के बयान की निदा करते हुए कहा कि चुनाव की उचित प्रक्रिया के तहत गत तीन अप्रैल को उनकी अध्यक्षता में नयी प्रदेश समिति का गठन किया गया है। उन्होंने कहा, ''हम दोनों ने पार्टी के दो दिवसीय राज्यस्तरीय सम्मेलन के बाद अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा था जिसमें श्री देववर्मा 65 मतों से हार गए। उन्हें हालाँकि सर्वसम्मति से पार्टी की सलाहकार समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसे समय पर जब पार्टी के पुनरुद्धार के लिए एकजुट होने की जरुरत है , वह (श्री देववर्मा) पार्टी को तोड़ने की कोशिश में लगे हैं।
दूसरी तरफ आईपीएफटी में व्याप्त संकट के बीच भाजपा ने सीधी टिप्पणी से बचते हुए कहा कि पार्टी आदिवासियों के बीच अपने आधार को और मजबूत करने पर लगी है । वहीं आईपीएफटी के 44 युवा नेताओं समेत 437 कार्यकताã बुधवार को भाजपा में शामिल हुए हैं। इसी के साथ ही भाजपा ने अपने आदिवासी मोर्चे के मौजूदा अध्यक्ष और सांसद रेबती त्रिपुरा तथा उपाध्यक्ष विकास देववर्मा को उनके पद से हटा दिया है।