संसद के पिछले सत्र में जीएसटी से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पास हुआ था। मगर जीएसटी लागू करने के लिए जरूरी कानून बनना अभी बाकी है। नोटबंदी के बाद सरकार और विपक्ष के बीच बढ़े टकराव के बाद यह सवाल अहम हो गया है कि क्या वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को लागू करने के लिए आवश्यक विधायी कार्य संसद के चालू शीतकालीन सत्र में पूरा हो पाएगा? कांग्रेस की प्रतिक्रियाओं से नहीं लगता कि वह मौजूदा माहौल में इसमें सहायक बनेगी।
वैसे सरकार इसका तोड़ निकाल सकती है। वह इस विधेयक को मनी बिल के रूप में पेश कर सकती है। लोकसभा में हंगामे के बीच गुजरे सत्रों में भी विधेयक पास कराए गए थे। ऐसा जीएसटी के मामले में भी हो सकता है। इसके बावजूद जीएसटी का मार्ग अभी सुगम नजर नहीं आ रहा है। अभी कई मुद्दों पर राज्यों से सहमति बननी है। इनमें एक मसला जीएसटी आकलन के क्षेत्राधिकार का है। ज्यादातर राज्य 1.5 करोड़ रुपए से कम सालाना टर्न ओवर वाले कारोबारियों पर अपना पूरा नियंत्रण चाहते हैं।
वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था में केंद्र और राज्यों के दायरे में आयकर दाताओं का कौन सा वर्ग आएगा, इस पर रविवार को भी सहमति नहीं बन गई। अब जीएसटी परिषद की बैठक 25 नवंबर को फिर होगी। केेंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली की राज्यों की वित्त मंत्रियों को साथ इस मुद्दे पर राजनीतिक गतिरोध दूर करने के लिए बुलाई गई बैठक बेनतीजा रही। जेटली ने कहा कि बैठक पूरी नहीं हो पाई। इससे पिछली दो बैठकों में इस मुद्दे पर केंद्र और राज्यों के बीच गतिरोध कायम रहा था।
केंद्र का इरादा जीएसटी को अगले साल अप्रैल से लागू करने का है। दरअसल वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की वसूली पर प्रशासनिक नियंत्रण को लेकर केंद्र और राज्यों की बैठक में गतिरोध बना रहा और बैठक बेनतीजा रही। 25 नवंबर को बुलाई गई बैठक में फिर से आगे चर्चा होगी। रविवार को बुलाई गई बैठक जीएसटी के तहत प्रशासनिक नियंत्रण के बंटवारे पर जारी राजनीतिक गतिरोध दूर करने के लिए बुलाई गई थी। इस बैठक में राज्यों के वित्तमंत्रियों को बुलाया गया था। अब 25 नवंबर की बैठक में आगे चर्चा होगी और उसी दिन जीएसटी परिषद की बैठक होगी।
सरकार एक अप्रैल 2017 से जीएसटी को लागू करने की तैयारी कर रही है, जिसमें उत्पाद शुल्क, सेवाकर और स्थानीय कर मिला दिए जाएंगे। केरल, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु जैसे राज्य 1.5 करोड़ रुपए तक सालाना कारोबार करने वाले छोटे कारोबारियों पर अपना नियंत्रण चाहते हैं। उनका कहना है कि राज्यों ने सतही स्तर पर बुनियादी ढांचे पर विकास किया है और छोटे करदाता राज्यों के अधिकारियों से भलीभांति परिचित भी है।
हालांकि केंद्र इस पर सहमत नहीं है वह जीएसटी वसूली पर पूरे देश में एकल नियंत्रण चाहता है। इस प्रकार वसूली पर नियंत्रण को लेकर केंद्र और राज्यों के बीच गतिरोध बना हुआ है। अब अगर 25 नवंबर की बैठक में भी फैसला नहीं हो सका तो एक अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करना मुश्किल हो सकता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि जेटली ने कुछ दिनों पहले कहा था कि 16 सितंबर 2017 तक जीएसटी लागू करना होगा।
वर्ना संविधान संशोधन विधेयक को राज्यों की मंजूरी की वैलिडिटी खत्म हो जाएगी। राज्य केंद्र को एकाधिकार दिए जाने के पक्ष में नहीं है और नहीं वे झुकने को तैयार है। क्योंकि जीएसटी लागू होने के बाद उनके टैक्स अधिकार खत्म हो जाएंगे। केंद्र और राज्य अपने-अपने अधिकार क्षेत्र को लेकर अड़े हुए हैं। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड अध्यक्ष नजीब शाह ने उम्मीद जताई है कि अगले वर्ष एक अप्रैल से देशभर में जीएसटी कानून लागू हो जाएगा, लेकिन यह तभी संभव है, अगर इससे संबंधित विवाद हल हों।
केरल के वित्तमंत्री थामस इसाक ने कहा कि ज्यादातर राज्य 1.5 करोड़ रुपए से कम सालाना कारोबार वाले उद्यमियों पर अपना पूरा नियंत्रण चाहते हैं। लेकिन दूसरी राय यह है कि यह निर्णय कर संग्रह की मात्रा के आधार पर होना चाहिए। दिल्ली, बिहार, ओडीशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल समेत ज्यादातर राज्य दोहरा नियंत्रण ढांचा चाहते हैं। वे चाहते है कि 1.5 करोड़ से कम टर्न ओवर वाले कारोबारियों पर राज्य टैक्स लगाए, जबकि 1.5 करोड़ रुपए से अधिक टर्न ओवर वाले कारोबारियों पर कर राज्य और केंद्र के बीच दो भागों में विभाजित किया जाए। जीएसटी परिषद की 4 नवंबर को हुई बैठक में करदाताओं की श्रेणियों पर सहमति नहीं बन पाई थी।
यानी कौन सी श्रेणी के करदाता केेंद्र और कौनसी श्रेणी के करदाता राज्यों के दायरे में आएंगे। इस पर एक राय नहीं हो पाई। जीएसटी परिषद की अगली बैठक 25 नवंबर को होनी है और उसी दिन केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राज्यों के वित्तमंत्रियों की बैठक बुलाई है। वैसे जब जीएसटी लागू होगा तो आरंभिक वर्ष में उससे कारोबार में नई चुनौतियां आएंगी। नोटबंदी से आई दिक्कतों से उन्हें जोडक़र देखें तो कहा जा सकता है कि कारोबार के लिए अगला वर्ष मुश्किलों से भरा होगा।
यहां यह उल्लेखनीय है कि 25 नवंबर को जीएसटी परिषद की होने वाली बैठक में फैसला नहीं हुआ तो अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करना मुश्किल है। इसी बैठक में केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी), राज्य जीएसटी (एसजीएसटी), इंटीग्रेटंड जीएसटी (आईजीएसटी) और राज्यों को नुकसान की भरपाई से संबंधित कानून के प्रारूप (ड्राफ्ट) को अंतिम रूप दिया जाना है। रविवार को बैठक राजनीतिक सहमति बनाने के लिए बुलाई गई थी। इसलिए इसमें अफसरों को शामिल नहीं किया गया था।
राजनीतिक सहमति बनाने के लिए पहले भी दो बार चर्चा हो चुकी है। राज्य चाहते हैं कि छोटे कारोबारी सिर्फ उनके अधिकार क्षेत्र में रहें। राज्य अपना राजस्व सुरक्षित रखना चाहते हैं। सीजीएसटी और आईजीएसटी विधेयक पास करने के लिए राज्यों को सहयोग जरूरी है। राज्यों के वित्तमंत्रियों का मानना है कि केंद्र अभी तक अपने एकाधिकार को लेकर अड़ा हुआ है, लेकिन उम्मीद है कि अन्तत: वह मान जाएगा।