पटना। विश्व में समृद्ध संस्कृति और परम्पराओं के लिए भारत की अपनी विशिष्ट पहचान है। पूरे वर्ष यहां कोई न कोई पर्व-त्योहार मनाया जाता रहता है लेकिन चित्रगुप्त पूजा सभवतः एक ऐसा त्योहार है जिसे जाति विशेष के लोग ही मनाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कायस्थ जाति को उत्पन्न करने वाले भगवान चित्रगुप्त का जन्म यम द्वितीया के दिन हुआ। इसी दिन कायस्थ जाति के लोग अपने घरों में भगवान चित्रगुप्त की पूजा करते हैं। उन्हें मानने वाले इस दिन कलम और दवात का इस्तेमाल नहीं करते। पूजा के आखिर में वे सम्पूर्ण आय-व्यय का हिसाब लिखकर भगवान को समर्पित करते हैं।
गोवर्धन कथा
चित्रगुप्त का जन्म यम द्वितीया के दिन ही हुआ। हालांकि इसका कोई निश्चित प्रमाण नहीं है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के रचयिता भगवान बह्मा ने एक बार सूर्य के समान अपने ज्येष्ठ पुत्र को बुलाकर कहा कि वह किसी विशेष प्रयोजन से समाधिस्थ हो रहे हैं और इस दौरान वह यत्नपूर्वक सृष्टि की रक्षा करें। इसके बाद बह्माजी ने 11 हजार वर्ष की समाधि ले ली। जब उनकी समाधि टूटी तो उन्होंने देखा कि उनके सामने एक दिव्य पुरूष कलम-दवात लिए खड़ा है।
राजा उस बालक की बात सुनकर काफी प्रसन्न हुआ और कहा तुझमें काफी साहस है। सौदास ने कहा, मैं भी चित्रगुप्त की पूजा करना चाहता हूं। कृपया इसके बारे में बतायें। राजा सौदास की बात सुनकर लोगों ने कहा कि घी से बनी मिठाई, फल, चंदन, दीप, रेशमी वस्त्र, मृदंग और विभिन्न तरह के संगीत यंत्र बजाकर इनकी पूजा की जाती है।
इसके बाद वह बालक बोला इसके लिए पूजा का यह मंत्र ...दवात कलम और हाथ में कलम, काठी लेकर पृथ्वी पर घूमने वाले चित्रगुप्त जी आपको नमस्कार है। चित्रगुप्तजी आप कायस्थ जाति में उत्पन्न होकर लेखकों को अक्षर प्रदान करते हैं। आपको बार-बार नमस्कार है।... जिसे आपने लिखने की जीविका दी, उसका पालन करते है इसलिये मुझे भी शांति दीजिए।
राजा सौदास ने इसके बाद उनके बताये नियम का पालन करते हुए श्रद्धापूर्वक पूजा की और पूजा का प्रसाद ग्रहण कर अपने राज्य लौट गया। कुछ समय बाद राजा सौदास की मृत्यु हो गयी। यमदूत जब उसे लेकर यमलोक गये तो यमराज ने चित्रगुप्त से कहा कि यह राजा बड़ा दुराचारी था इसकी क्या सजा है।
गोवर्धन पर ऐसे करे पूजा
इस पर चित्रगुप्त ने हंस कर कहा, मैं जानता हूं। यह राजा दुराचारी है और इसने कई पापकर्म किये हैं लेकिन इसने मेरी पूजा की है इसलिये मैं इस पर प्रसन्न हूं। अतः आप इसे स्वर्गलोक जाने की आज्ञा दें। और इसके बाद यम की आज्ञा से राजा स्वर्ग चला गया। कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को यमुना के घर पर उनके भाई यम ने भोजन किया था। अतः यह दिन ..यम द्वितीया.. के तौर पर भी मनाया जाता है। यमुना ने यमराज को आयु बढ़ाने का वर दिया। ऐसी मान्यता है कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के घर भोजन करते हैं उनके घर सुख और समृद्धि बनी रहती है।-एजेंसी
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